नई दिल्ली(प्रदीप कुमार): अग्निपथ योजना को लेकर सेना की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई है। इसमें सेना ने कहा है कि, यह देश की सुरक्षा का मामला है, भर्ती प्रक्रिया में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इस मौके पर तीनों सेनाओं की ओर से अग्निपथ रिक्रूटमेंट प्रोसेस का भी ब्यौरा जारी किया गया है।
अग्निपथ योजना पर प्रदर्शन के बीच सेना, नौसेना और वायुसेना की ओर से लगातार कई तरह की आशंकाओं और अफवाहों को क्लियर किया जा रहा है। तीनों सेनाओं के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने दिल्ली के राष्ट्रीय मीडिया सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए अग्निपथ योजना को लेकर उठ रहे सवालों के जवाब दिए हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कई तरह की आशंकाएं खारिज करते हुए कहा कि अगर अग्निवीर कहीं लड़ाई लड़ेगा तो उसे परमवीर चक्र भी मिलेगा। उसे किसी भी तरह से अलग नहीं रखा गया है। अग्निपथ योजना पर लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा है कि भर्ती प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है। रेजिमेंटल प्रक्रिया अपरिवर्तित रहेगी, हम शपथ लेंगे और उम्मीदवारों को शपथ देनी होगी कि वे किसी आगजनी/बर्बादी में शामिल नहीं थे। अग्निपथ योजना को लेकर तमाम गलत खबरों पर बोलते हुए उन्होंने कहा- ‘यह हमारे देश की सुरक्षा का मामला है। किसी ने अफवाह फैला दी कि सेना के पुराने जवानों को अग्निवीर योजना में भेजा जाएगा। यह एक फर्जी सूचना है।
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लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा कि हम देशभक्ति का चांस दे रहे हैं। अग्निपथ टैलेंट को आकर्षित करने की योजना है, जिससे सेना को बेस्ट मिले। फौज के लिए काम करना एक जुनून, जज्बा है, नौकरी के लिए प्रावधान नहीं है। उन्होंने चीन, अमेरिका और इजरायल का उदाहरण देते हुए बताया कि कहां मिलिट्री सर्विस कितने साल की होती है, कैसे प्रशिक्षण होता है
इस मौके पर तीनों सेनाओं ने अग्निपथ के तहत होने वाली अग्निवीर सैनिकों की भर्ती प्रक्रिया का ब्यौरा पेश किया। एयर मार्शल एस.के.झा ने कहा कि पहले वर्ष में 2 प्रतिशत से शुरू करके अग्निवीरों को अधिक संख्या में धीरे-धीरे शामिल किया जा रहा है। पांचवें वर्ष में यह संख्या लगभग 6 हजार हो जाएगी और 10 वर्ष में लगभग 9 हजार से 10 हजार हो जाएगी। भारतीय वायुसेना में प्रत्येक नामांकन अब केवल ‘अग्निवीर वायु’ के माध्यम से होगा।
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एयर मार्शल झा ने कहा कि भारतीय वायुसेना की युद्ध क्षमता और तैयारी पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। भारतीय वायुसेना और भारत सरकार हमें युद्ध के योग्य और युद्ध के लिए तैयार रखने के लिए जो भी जरूरी होगा वो सबकुछ करेगी। भारतीय नौसेना के वाइस एडमिरल ने बताया कि डीजी शिपिंग के आदेश के अनुसार चार साल के प्रशिक्षण के बाद अग्निवीर सीधे मर्चेंट नेवी में जा सकते हैं।
इस मौके पर लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा है कि अग्रिपथ स्कीम लॉन्च करने से पहले सेना के स्तर पर काफी मंथन हुआ था। पुरी ने कहा कि सभी हितधारकों के साथ सेवाओं के स्तर पर 150 मीटिंग्स और 500 घंटे की बैठकें हुईं। रक्षा मंत्रालय के स्तर पर 60 बैठकें हुईं और 150 घंटे खर्च किए गए। सरकार के स्तर पर 44 बैठकें हुईं और 100 घंटे का समय विचार-विमर्श पर दिया गया।
डर कर भागने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब आगे वाला उसका भाई पीछे नहीं आ रहा तो वह नहीं आ सकता। उन्होंने आगे कहा कि मैं आपको बताना नहीं चाहता कि जो तैनाती वाली जगह से भागने की कोशिश करे उनके साथ क्या होता है।
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