नई दिल्ली(प्रदीप कुमार): केंद्रीय कैबिनेट ने घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल की बिक्री को नियंत्रण मुक्त करने की मंजूरी दे दी है। केंद्रीय कैबिनेट ने अपने एक और महत्वपूर्ण फैसले में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों PACS के कम्प्यूटरीकरण को भी मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। केंद्रीय कैबिनेट के लिए गए फैसलों पर केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी।
केंद्रीय कैबिनेट ने घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल की बिक्री को नियंत्रण मुक्त करने की मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने बताया कि कच्चे तेल की बिक्री को नियंत्रण मुक्त करने के कैबिनेट के फैसले से सभी अन्वेषण और उत्पादन कंपनियों के लिए मार्केट स्वतंत्रता सुनिश्चित होगी। केंद्र सरकार के इस फैसले से सभी अन्वेषण और उत्पादन (ई एंड पी) ऑपरेटरों के लिए स्वतंत्र रूप से विपणन करना सुनिश्चित होगा। सरकार या उसकी नामित या सरकारी कंपनियों को कच्चा तेल बेचने के लिए उत्पादन साझाकरण अनुबंध (पीएससी) की शर्त में तदनुसार छूट दी जाएगी।
केंद्र सरकार के इस फैसले के मुताबिक सभी ई एंड पी कंपनियों को अब घरेलू बाजार में अपने क्षेत्रों से कच्चा तेल बेचने की स्वतंत्रता होगी। सरकारी राजस्व जैसे रॉयल्टी, उपकर, आदि की गणना सभी अनुबंधों में एक समान आधार पर की जाती रहेगी। पहले की तरह, निर्यात की अनुमति नहीं होगी।केंद्र सरकार का यह निर्णय आर्थिक गतिविधियों को और बढ़ावा देगा, अपस्ट्रीम तेल और गैस क्षेत्र में निवेश करने को प्रोत्साहित करेगा। केंद्रीय कैबिनेट ने अपने एक और महत्वपूर्ण फैसले में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों के कम्प्यूटरीकरण को भी मंजूरी दे दी है। 2516 करोड़ रुपये के कुल बजट परिव्यय के साथ 63,000 PACS को कम्प्यूटर से जोड़ा जाएगा।
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केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि कैबिनेट के सदस्यों से करीब 13 करोड़ किसानों को सीधा फायदा मिलेगा। देश में सभी संस्थाओं द्वारा दिए गए केसीसी ऋणों में पैक्स का हिस्सा 41 प्रतिशत (3.01 करोड़ किसान) है और पैक्स के माध्यम से इन केसीसी ऋणों में से 95 प्रतिशत (2.95 करोड़ किसान) छोटे व सीमांत किसानों को दिए गए हैं। अन्य दो स्तरों अर्थात राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) को पहले ही नाबार्ड द्वारा स्वचालित कर दिया गया है और उन्हें साझा बैंकिंग सॉफ्टवेयर (सीबीएस) के तहत ला दिया गया है।
पैक्स का कम्प्यूटरीकरण विभिन्न सेवाओं एवं उर्वरक, बीज आदि जैसे इनपुट के प्रावधान के लिए नोडल सेवा वितरण बिंदु बन जाएगा। यह परियोजना ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटलीकरण को बेहतर बनाने के अलावा बैंकिंग गतिविधियों के साथ-साथ गैर-बैंकिंग गतिविधियों के केन्द्र के रूप में पैक्स की पहुंच को बेहतर बनाने में मदद करेगी।
केन्द्र और राज्य स्तर पर परियोजना प्रबंधन इकाइयां (पीएमयू) स्थापित की जायेंगी। लगभग 200 पैक्स के समूह में जिला स्तरीय सहायता भी प्रदान की जाएगी। केंद्रीय कैबिनेट ने अपने एक और फैसले में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत एवं व्यापार तथा उद्योग मंत्रालय, सिंगापुर के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) को मंजूरी दे दी है।
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