आधुनिक क्रिकेट में टी-20 के बाद टाई मैचों की संख्या में इजाफा देखने को मिला है और अब टाई मैच वनडे क्रिकेट में भी अक्सर देखने को मिल जाते हैं। अभी तक वनडे के इतिहास में कुल 40 मैच टाई हुए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि टेस्ट क्रिकेट में भी मैच टाई हुए हैं? टेस्ट क्रिकेट अपने 150 से ज्यादा सालों के सफर के बाद अभी तक इस तरह के मैचों का 2 बार गवाह बन चुका है। तो आइए नजर डालते हैं इन दो टेस्ट मैचों पर।
पहला टाई टेस्ट मैच (ऑस्ट्रेलिया बनाम वेस्टइंडीज)
टाई टेस्ट मैच का पहला वाकया साल 1960 में ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच खेले गए मैच में देखने को मिला। इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए सर फ्रेंक वॉरेल के नेतृत्व वाली वेस्टइंडीज की टीम ने गैरी सोबार्स के शानदार शतक 132 व अन्य बल्लेबाजों की बेहतरीन बल्लेबाजी की बदौलत पहली पारी में 453 रनों का स्कोर खड़ा किया।
जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी ऑस्ट्रेलिया ने दो कदम आगे निकलते हुए ओ। नेल के शानदार 181 रनों की मदद से 505 बनाए और पहली पारी के आधार पर 52 रनों की बढ़त ले ली। जवाब में वेस्टइंडीज तीसरी पारी में 284 रनों पर ऑलआउट हो गई और ऑस्ट्रेलिया को चौथी पारी में 233 रन बनाने का लक्ष्य मिला।
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वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज सर हॉल के आगे ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज टिक नहीं पाए और ऑस्ट्रेलिया ने 92 रनों पर अपने शीर्ष 6 विकेट गंवा दिए। लेकिन हम जानते हैं क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है और एलन डेविडसन(80) ने रिची बेनॉड के साथ सातवें विकेट के लिए 150 से ज्यादा रन जोड़े और ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए सिर्फ 7 रन की जरूरत थी और उसके पास चार विकेट शेष थे। लेकिन क्रिकेट में फिर अनिश्चितता दिखी और 227 के स्कोर पर डेविडसन के आउट होते ही अगले कुछ ओवरों में विकटों की झड़ी लग गई और लगातार 3 खिलाड़ी रन आउट हो गए। इस तरह ऑस्ट्रेलिया 232 रनों पर ऑलआउट हो गई और यह रोमांचक टेस्ट मैच टाई हो गया।
दूसरा टाई टेस्ट मैच (भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया)
टाई टेस्ट मैच का दूसरा वाकया हुआ साल 1986 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच। चेन्नई के मैदान पर खेला गया टेस्ट मैच रिकॉर्ड बुक में हमेशा-हमेशा के लिए दर्ज हो गया। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए डीन जोंस के दोहरे शतक (210), डेविड बून के शतक (122) और कप्तान एलन बॉर्डर के शतक(106) की बदौलत 574 रनों पर 7 विकेट के साथ पारी घोषित कर दी।
जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम ने कपिल देव के शानदार शतक 119 व अन्य तीन बल्लेबाजों के अर्धशतकीय पारियों की बदौलत 397 रन बनाए। ऑस्ट्रेलिया ने तीसरी पारी 170/5 पर घोषित कर दी। इस तरह भारतीय टीम को 348 रनों का एक मुश्किल लक्ष्य मिला। ऑस्ट्रेलिया ने सोचा नहीं होगा चौथी पारी में भारत इस स्कोर के आसपास भी पहुंचेगा। बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम ने अपना पहला विकेट श्रीकांत (39) के रूप में 55 के स्कोर पर गंवा दिया।
लेकिन इसके बाद गावस्कर और मोहिंदर अमरनाथ ने जमकर ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों का पसीना बहाया और दूसरे विकेट के लिए शतकीय साझेदारी निभाई। लेकिन जीत के नजदीक एक बार फिर से भारतीय पारी डगमगाई और मोहिंदर अमरनाथ के आउट होने के बाद भारतीय पारी की निरंतरता डगमगा गई और एक निश्चित अंतराल में विकेट गिरने लगे। भारत ने इस तरह 331 के स्कोर पर अपने 7 विकेट खो दिए।
अब भारतीय टीम को जीतने के लिए 17 रनों की जरूरत थी जबकि हाथ में तीन विकेट शेष थे। लेकिन चेतन शर्मा के आउट होते ही किरन मोरे, यादव और महिंद्र सिंह स्पिन गेंदबाज ब्राइट की फिरकी में उलझते हुए आउट हो गए। इस तरह भारतीय टीम ने चौथी पारी में 347 रन बनाए और टेस्ट मैच टाई हो गया।
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