उपराष्ट्रपति और पांडिचेरी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, सी.पी. राधाकृष्णन ने आज विश्वविद्यालय के 30वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने ना केवल युवाओं को राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित किया, बल्कि परिसर में एक नए अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर का उद्घाटन भी किया।
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पांडिचेरी विश्वविद्यालय का परिसर आज उस समय उत्साह से भर गया जब देश के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। स्नातक हो रहे छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने एक बेहद प्रेरणादायक आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये युवा केवल डिग्री धारक नहीं हैं, बल्कि ‘विकसित भारत @2047’ के असली शिल्पकार (Architects) हैं। उन्होंने छात्रों को याद दिलाया कि देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की जिम्मेदारी अब उनके कंधों पर है।
अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने प्राचीन तमिल ग्रंथ ‘नालदियार’ का उल्लेख करते हुए जीवन का एक बड़ा दर्शन साझा किया। उन्होंने कहा कि ज्ञान का सागर असीमित है, लेकिन उसे ग्रहण करने के लिए मनुष्य के पास समय सीमित है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे सूचनाओं के इस विशाल महासागर से केवल वही चीजें चुनें जो मूल्यवान, नैतिक और अर्थपूर्ण हों।
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समारोह के दौरान, उपराष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय परिसर में नवनिर्मित ‘महाकवि सुब्रमण्य भारती इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर’ का भी उद्घाटन किया। यह केंद्र अंतरराष्ट्रीय स्तर के सम्मेलनों और शैक्षणिक गतिविधियों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।
समारोह के अंत में सैकड़ों छात्रों को डिग्रियां प्रदान की गईं। उपराष्ट्रपति के शब्दों ने छात्रों में एक नया जोश भर दिया जिससे वे अपने भविष्य के साथ-साथ राष्ट्र के भविष्य को संवारने के लिए उत्साह से पूर्ण तैयार दिखे है।
