बिहार में एक ओर जहां चुनावी सरगर्मियां तेज हैं वहीं दूसरी ओर मुजफ्फरपुर जिले में बागमती और बूढ़ी गंडक नदियां उफान पर हैं। कई गांवों में बाढ़ आ गई है और लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बाढ़ पीड़ित अपने घर छोड़कर साजो-सामान और मवेशियों के साथ ऊंची जगहों पर पनाह लेने को मजबूर हैं।
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चुनावी राज्य बिहार में कई बाढ़ पीड़ितों का आरोप है कि किसी भी निर्वाचित प्रतिनिधि ने हालात का जायजा लेने की जहमत नहीं उठाई है। बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि उन्हें परेशानियां झेलते कई दिन हो गए, लेकिन नेताओं और विधायक को कोई परवाह नहीं है। लोग पूरी तरह निराश हो चुके हैं। अब उन्हें बाढ़ का पानी खुद-ब-खुद कम होने का इंतजार है, ताकि वे नए सिरे से जिंदगी शुरू कर सकें।
मुजफ्फरपुर जिले में बागमती और बूढ़ी गंडक जैसी नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे औराई और कटरा जैसे प्रखंडों में कई गांव जलमग्न हो गए हैं। लोगों को अपने घरों से बेघर भी होना पड़ा है। बाढ़ के कारण लोग को अपने घरों को छोड़कर किसी ऊंचे और सुरक्षित स्थान पर ठहरे हुए हैं और उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बाढ़ के कारण स्कूलों को बंद करना पड़ा है और दैनिक जीवन की गतिविधियां भी बाधित हुई हैं। लोगों का आरोप है कि कोई जनप्रतिनिधि उनकी सुध नहीं ले रहा है।