Sports: खो-खो विश्वकप में दक्षिण अफ्रीका की घमाकेदार शुरुआत, खिताब जीतने पर थाटो ने दी ये प्रतिक्रिया

Kho-Kho World Cup: दक्षिण अफ्रीकी खो-खो खिलाड़ी भारत की राष्ट्रीय राजधानी में चल रहे पहले खो-खो विश्व कप का हिस्सा बनकर बेहद खुश हैं।पीटीआई के साथ खास इंटरव्यू में दक्षिण अफ्रीका की टीम के खिलाड़ी सेंजो खोजा ने एक सिविल इंजीनियर से लेकर खो-खो विश्व कप में खेलने तक के अपने सफर को साझा किया।अपने दिवंगत चाचा द्वारा खो-खो से परिचित कराए गए इस खिलाड़ी ने खेल के साथ अपने शुरुआती, अनजाने अनुभव को याद किया। उन्होंने कहा कि उन्हें शुरू में पता भी नहीं था कि वे खो-खो खेल रही हैं।

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थाटो मोटलौंग ने पीटीआई वीडियो से बातचीत में कहा कि वाकई बहुत बढ़िया होगा अगर हम खिताब को घर ले जा सकें। उन्होंने कहा कि उनकी टीम खिताब जीतने की पूरी कोशिश करेगी।मोटलौंग ने दक्षिण अफ्रीका में खो-खो के अनूठे पहलुओं का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि उनके देश में खो-खो का खेल बिना डंडों के खेला जाता है और सीटी सिर्फ तभी बजती है जब कोई फाउल हो जाता है।नीदरलैंड के खिलाफ 108 अंकों की जीत के बाद अफ्रीकी टीम आत्मविश्वास से भरी और अच्छी तरह तैयार दिख रही है।

सेंजो खोजा, खो-खो खिलाड़ी, दक्षिण अफ्रीका: मैंने खो-खो खेलने की कोशिश की, मुझे नहीं पता था कि मैं क्या खेल रहा हूं। मेरे अंकल ने मुझे खो-खो से परिचित कराया, वे पहले इसे खेलते थे, दुर्भाग्य से उनका निधन हो गया। खो-खो के प्रति मेरा प्यार दिन-ब-दिन बढ़ता गया और अब मैं यहां खो-खो विश्व कप खेल रहा हू, मुझे बस उम्मीद है कि दक्षिण अफ्रीका में भी खो-खो के प्रति प्यार बढ़ेगा।

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हमारे समुदाय में कुछ लोग आए और उन्होंने खो-खो से परिचय कराया और हमें इससे प्यार हो गया और हमने इसे अपना लिया और इसे खेलना शुरू कर दिया। मैं पेशे से एक सिविल इंजीनियर हूं, लेकिन दुर्भाग्य से मैं इस समय इंजीनियर के रूप में काम नहीं कर रहा हूं, मैं नगरपालिका के लिए एक सामान्य कर्मचारी के रूप में काम करता हूं, बस उम्मीद है कि मुझे निकट भविष्य में नौकरी मिल जाएगी। मुझे समय मिल जाता है क्योंकि मैं घर के लिए जल्दी उठता हूं और फिर कम से कम एक घंटे की ट्रेनिंग के लिए घर जाता हूं। मैं घर पर छोटे बच्चों को भी कोचिंग देता हूं। हम उनके (भारतीय टीम) लिए आ रहे हैं, यही मैं कह सकता हूं और हम विश्व कप घर ले जा रहे हैं।”

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