उत्तरकाशी में सेना ने तेज किया रेस्क्यू ऑपरेशन, पीड़ितों की सहायता के लिए भेजे गए खोजी कुत्ते..

Uttarakhand

Uttarakhand: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के जल आपदा प्रभावित धराली गांव में जीवित बचे लोगों की तलाश के लिए जारी अभियान में बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के 69 बचावकर्मियों का एक दल शामिल हुआ। इसके अलावा दो शव-खोजी कुत्ते और पशु चिकित्सकों की एक टीम भी बचाव कार्य में सहयोग के लिए पहुंची है। एनडीआरएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।Uttarakhand

Read also-KBC: कौन बनेगा करोड़पति जल्द होगा टेलीकास्ट, अमिताभ बच्चन ने शुरु की शूंटिग

इस बीच, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के प्रवक्ता ने दिल्ली में बताया कि उसके जवानों ने गंगोत्री से मुखवा के बीच फंसे कुल 307 तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया है और दोपहर तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार उन्हें हरसिल ले जाया जा रहा है।एनडीआरएफ के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) गंभीर सिंह चौहान ने पीटीआई-वीडियो से कहा, “यह एक बड़ी आपदा है और नुकसान का विश्लेषण किया जा रहा है। उत्तरकाशी को जोड़ने वाली सड़कें बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई हैं। हालांकि, हमारी टीमें प्रभावित क्षेत्रों में पीड़ितों को बचाने के लिए काम कर रही हैं।”Uttarakhand

Read also- Uttarkashi: धराली गांव में सेना को मिली बड़ी सफलता, 70 लोगों को किया रेस्कयू

चौहान के मुताबिक, बचाव अभियान के लिए दो शव-खोजी कुत्तों को भी तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि यह 2006 में स्थापित एनडीआरएफ के 19 साल के इतिहास में पहली बार है, जब किसी अभियान में शव-खोजी कुत्तों की मदद ली जा रही है।चौहान ने कहा, “मृतकों को ढूंढने में मदद करने वाले शव-खोजी कुत्तों के अलावा, हमारे पास चार खोजी कुत्ते भी हैं, जो जीवित बचे लोगों की तलाश में मदद करेंगे।” उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ के 69 कर्मियों की टीम धराली में राहत एवं बचाव कार्यों को अंजाम दे रही है।Uttarakhand

एनडीआरएफ की पहली टुकड़ी बुधवार शाम धराली पहुंची, जहां मंगलवार दोपहर अचानक आई बाढ़ से भारी तबाही मची है। आईटीबीपी, सेना और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की बचाव टीमें भी क्षेत्र में काम कर रही हैं।अधिकारियों के अनुसार, भीषण बाढ़ के कारण उत्तरकाशी को जाने वाली सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं और खराब मौसम के मद्देनजर वहां राहत एवं बचाव कार्यों में सहयोग के लिए उड़ानों का संचालन भी नहीं हो पा रहा है।Uttarakhand

चौहान ने बताया कि एनडीआरएफ ने आपदा क्षेत्र में क्यूएडी (क्विक डिप्लॉयमेंट एंटीना) और सैटेलाइट फोन की तैनाती के साथ एक संचार केंद्र स्थापित किया है। उन्होंने बताया कि मवेशियों को बचाने के लिए कुछ पशु चिकित्सकों को भी धराली भेजा गया है। चौहान ने कहा, “हम अधिक से अधिक लोगों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।पीटीआई-वीडियो ने चार अगस्त को सबसे पहले खबर दी थी कि एनडीआरएफ अपने इतिहास में पहली बार उत्तरकाशी में शवों की तलाश के लिए शव-खोजी कुत्तों की तैनाती करने जा रहा है। इन कुत्तों को मलबे और कीचड़ में दबे शवों को सूंघकर उनका पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।Uttarakhand

एनडीआरएफ ने हाल ही में लगभग छह शव-खोजी कुत्तों को प्रशिक्षित किया है, ताकि शवों का पता लगाया जा सके और उन्हें परिजनों के सुपुर्द किया जा सके। उसने इन कुत्तों-बेल्जियन मैलिनॉइस और लैब्राडोर-को प्रशिक्षित करने के लिए विदेश से एक विशेष सेंट मंगवाया, जिसकी गंध शव से आने वाली गंध के समान थी।एक वरिष्ठ अधिकारी ने हाल ही में कहा था, “इन सभी वर्षों में एनडीआरएफ का ध्यान जीवन बचाने के अपने कर्तव्य पर केंद्रित रहा है। आपदा के दौरान जीवित बचे लोगों को खोजने के स्वर्णिम समय का इस्तेमाल करना बचावकर्मियों का मार्गदर्शक सिद्धांत रहा है और इसलिए मृतकों या पार्थिव अवशेषों को ढूंढना उनकी प्राथमिकता नहीं थी।हालांकि, अधिकारी ने कहा था कि एनडीआरएफ उन अभियानों (भूस्खलन, रेल हादसा, आदि) का भी हिस्सा रहा है, जहां कर्मियों को मलबे से शवों को निकालने का काम सौंपा गया है। उन्होंने कहा था कि शोक संतप्त परिवारों को सांत्वना देने के लिए शवों या मानव अवशेषों का पता लगाना महत्वपूर्ण है।Uttarakhand

Top Hindi NewsLatest News Updates, Delhi Updates,Haryana News, click on Delhi FacebookDelhi twitter and Also Haryana FacebookHaryana Twitter

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *