Andhra Pradesh: सौ साल पहले आंध्र प्रदेश के इस शहर में रहने वाले किसी शख्स ने नहीं सोचा होगा कि एक दिन ये एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र के रूप में उभरेगा। सत्य नारायण राजू का जन्म इसी पुट्टपर्थी में 23 नवंबर, 1926 को हुआ था। वही बाद में सत्य साईं बाबा के नाम से मशहूर हुए। ये शहर इतना मशहूर हो गया कि इसकी वजह से उस जिले का नाम ही बदल दिया गया, जहां ये स्थित है। सत्य साईं बाबा के सम्मान में उनके महासमाधि लेने के ग्यारह साल बाद, 2022 में, अनंतपुर का नाम सत्य साईं जिला कर दिया गया।
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आज पुट्टपर्थी में श्री सत्य साईं बाबा की 100वीं जयंती मनाने की तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं। उनकी प्रचारित निस्वार्थ सेवा की भावना ने देश-विदेश में अनगिनत लोगों को प्रभावित किया है। ये समारोह सत्य साईं बाबा के अनगिनत भक्तों में प्रेम, करुणा और इस विश्वास पर आधारित उस सोच को ताजा करेगा कि मानवता की सेवा ही ईश्वर की सेवा है। आज, श्री सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट मुफ्त विश्वविद्यालय और स्कूल चलाता है, जहां प्राथमिक से स्नातकोत्तर स्तर की शिक्षा दी जाती है। दूसरी ओर इसकी सामाजिक इकाइयां देश भर के ग्रामीण समुदायों के कल्याण के लिए लगातार काम कर रही हैं। पुट्टपर्थी में श्री सत्य साईं उच्च चिकित्सा विज्ञान संस्थान, उनके आदर्शों को साकार करने के सबसे शानदार उदाहरणों में एक है।
बेंगलुरू स्थित व्हाइटफील्ड शाखा के साथ ये अस्पताल हर महीने 200 से ज्यादा दिल का ऑपरेशन मुफ्त करता है। ये दुनिया का पहला अस्पताल है, जहां रोबोट की मदद से दिल के ऑपरेशन मुफ्त किए जाते हैं। 1990 के दशक की शुरुआत में आरंभ की गई, श्री सत्य साईं पेयजल परियोजना भारत की सबसे बड़ी निजी वित्त से चलने वाली परियोजनाओं में शुमार है। 3,000 किलोमीटर लंबी पाइपलाइनों के विशाल नेटवर्क के साथ ये परियोजना न सिर्फ आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, बल्कि चेन्नई और असपास के कस्बों में भी लाखों लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराती है। श्री सत्य साईं सेवा संगठनों के दस लाख से ज्यादा स्वयंसेवक देश भर में इसी भावना को साकार कर रहे हैं। उनमें सालों से निस्वार्थ सेवा करने वाले डेढ़ हजार से ज्यादा लोग शताब्दी समारोह में हिस्सा ले रहे हैं। Andhra Pradesh
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हजारों करोड़ रुपये की निधि वाला ट्रस्ट गर्व से कहता है कि उसने अपना संचालन विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन और स्वैच्छिक योगदान से बनाए रखा है, न कि सार्वजनिक सहयोग के जरिये। श्री सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट का कहना है कि शताब्दी वर्ष सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि समर्पण का दिन है। ये हर अनुयायी को बाबा के शाश्वत संदेश की याद दिलाने का अवसर है – सभी से प्रेम करो, सभी की सेवा करो और कभी किसी को चोट मत पहुंचाओ।
