Bharat: CONCENT ने भारत सरकार द्वारा चारों श्रम संहिताओं की अधिसूचना का स्वागत किया है। CONCENT ने कहा है कि यह कदम देश के श्रम कानूनों में एक ऐतिहासिक बदलाव है, क्योंकि इससे दशकों पुराने, बिखरे हुए और औपनिवेशिक सोच पर आधारित नियमों की जगह एक आधुनिक, पारदर्शी और श्रमिक कल्याण केंद्रित व्यवस्था स्थापित हो रही है। आज जब हमारा देश विकसित भारत 2047 की ओर तेज़ी से बढ रहा है, ऐसे मे यह सुधार न केवल समय की मांग हैं बल्कि देश के हर श्रमिक को गरिमा, पहचान, सुरक्षा और स्थिरता देने की दिशा में बड़ा कदम हैं।
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CONCENT ने कहा कि लंबे समय तक देश की श्रम व्यवस्था ऐसी संरचनाओं पर टिकी रही जो मुख्यतः कामगारों पर नियंत्रण और शासन की दृष्टि से तैयार की गई थीं। इसमें सदैव श्रमिकों के कल्याण के बिंदुओं का अभाव था। दुख की बात है कि आज भी कुछ राजनीतिक संगठनों और में वही पुरानी सोच जमी हुई है। वे युवाओं और श्रमिकों को भ्रम में डालकर टकराव और अस्थिरता का माहौल बनाते हैं, जबकि देश का युवा आज कौशल, अवसर, सम्मान और एक स्थिर करियर चाहता है। ऐसे समय में CONCENT’ मानता है कि भारत के श्रमिक को संघर्ष और राजनीति नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, कानूनी संरक्षण और सकारात्मक संवाद की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए, वास्तव में यही “श्रमेव जयते” की असली भावना है।Bharat
CONCENT ने कहा कि श्रम संहिताओं का सबसे महत्वपूर्ण और जीवन बदलने वाला पहलू यह है कि पहली बार देश के असंगठित श्रमिक, प्रवासी मजदूर, गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर और करोड़ों अनौपचारिक कामगार एक मजबूत सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था के अंतर्गत आए हैं। अब उन्हे ESIC जैसी स्वास्थ्य सुविधा, पेंशन आधारित लाभ, दिव्यांग सहायता, मातृत्व सुरक्षा और कल्याण योजनाओं की पोर्टेबिलिटी का कानूनी अधिकार मिलेगा। यह सुधार उन लगभग 40 करोड़ श्रमिकों के लिए वरदान है जो अब तक औपचारिक सुरक्षा से पूरी तरह बाहर थे। इसके साथ ही हर श्रमिक को नियक्ति पत्र देना अनिवार्य हो गया है और परे देश में समान कार्य का समान वेतन तय होगा, जिससे मनमानी, लैंगिंग भेदभाव, शोषण और बिना रिकॉर्ड वाली नौकरियों का दौर खत्म होगा। डिजिटल भुगतान ने श्रमिकों के वेतन, पहचान और सरकारी लाभों को पूरी तरह विश्वसनीय और पारदर्शी बना दिया है।Bharat
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CONCENT ने इसे श्रम संहिताएं सुरक्षा और स्वास्थ्य के मामले में भी एक बड़े बदलाव की शुरुआत बताया हैं। CONCENT ने कहा कि अनिवार्य वार्षिक स्वास्थ्य जांच, सुरक्षा समितियों का गठन, तकनीक आधारित निरीक्षण और महिलाओं की सुरक्षा और समान अवसरों के लिए अधिक सख्त प्रावधान यह दिखाते हैं कि भारत अब वैश्चिक मानकों के अनुरूप एक सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य-संस्कृति की ओर बढ रहा है। यह स्पष्ट संदेश है कि श्रमिक कल्याण सिर्फ कानून का हिस्सा नहीं, बल्कि देश की उत्पादकता, उद्योगों की सुरक्षा और आर्थिक विकास की बुनियाद है। विवाद समाधान की नई प्रणाली भी पहले से कहीं अधिक सरल और तेज है, जिससे उद्योगों और श्रमिकों दोनों के लिए स्थिरता और भरोसा बढ़ेगा ।
CONCENT ने कहा कि इन सुधारों को बनाने में भारत सरकार ने देशभर के राज्यों, उद्योगों, ट्रेड यूनियनों और विशेषज्ञों से विस्तत और वर्षों तक चलने वाली परामर्श प्रक्रिया अपनाई। अनेक सुझावों को अंतिम नियमों में शामिल किया गया, जिससे यह पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक और पारदर्शी बनी रही।Bharat
CONCENT देश के सभी श्रमिकों, य्रनियनों, नियोक्ताओं और विशेष रूप से देश की युवा शक्ति से आग्रह किया है कि इन सुधारों को समझें और सकारात्मक दृष्टि से अपनाएं।CONCENT ने कहा कि भारत का युवा डर, अफवाह या राजनीतिक गुमराहियों का पात्र नहीं है। इस समय वह सम्मान, पहचान, सुरक्षा, कौशल और आगे बढने के अवसरों वाला भविष्य चाहता है। श्रम संहिताएं इसी भविष्य की मजबूत नींव रखती हैं। श्रम संहिताएं भारत के उन करोड़ों श्रमिकों के लिए पहली बार सुरक्षा कवच लाती हैं, जिन्हें अब तक कोई औपचारिक संरक्षण या कानूनी अधिकार नहीं मिला था।
CONCENT’ ने कहा है कि वह पूरी प्रतिबद्धता के साथ भारत सरकार के साथ खड़ा है और चाहता है कि श्रम संहिताओं को देश में ईमानदारी, पारदर्शिता और प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। ये सुधार भारत के हर श्रमिक को एक नया आत्मविश्वास, सुरक्षा, अवसर और गरिमा देंगे। यह भारत के श्रम इतिहास का एक नया और उज्वल अध्याय है, एक ऐसा अध्याय जो देश को अधिक न्यायपूर्ण, सुरक्षित, समावेशी और समृद्ध भविष्य की और ले जाएगा।CONCENT ने सभी घटक संगठनों से अपील की है कि वे श्रमिक वर्ग तक वास्तविक तथ्य पहँचाएँ और चारों श्रम संहिताओं के समर्थन में जुलूस, मार्च, नुक्कड़ सभाएँ एवं सम्मेलन आयोजित करें।“Bharat
