G20 Summit: दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिका और मेजबान देश के बीच कूटनीतिक तनाव चरम पर पहुंच गया। दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया कि वे G20 की अगली अध्यक्षता (2026 के लिए) किसी “कम रैंक” अमेरिकी राजदूत चार्ज डी अफेयर्स को सौंपेंगे। उनका कहना था कि यह उनके पद की गरिमा के खिलाफ होगा।G20 Summit
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अमेरिका का बहिष्कार और अचानक बदलाव- दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले G20 समिट का बहिष्कार घोषित किया था, जिसमें उपराष्ट्रपति जेडी वेंस को भेजने की योजना रद्द कर दी गई। ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका को G20 में रहने के “अधिकार” पर सवाल उठाया था। हालांकि, समिट के ठीक पहले 21 नवंबर को अमेरिकी दूतावास ने प्रिटोरिया से आठ राजनयिकों का एक प्रतिनिधिमंडल भेजने की अनुमति मांगी, लेकिन केवल समापन सत्र के लिए। यह बदलाव रामाफोसा ने “सकारात्मक” बताया, लेकिन अमेरिकी प्रतिनिधि के स्तर को लेकर असहमति हो गई।
रामाफोसा का सख्त रुख- रामाफोसा ने कहा, “हम किसी भी दबाव में नहीं आएंगे।” उनके विदेश मंत्री रोनाल्ड लामोला ने पत्रकारों से कहा, “अमेरिका G20 का सदस्य है, अगर वे प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं तो सही स्तर का कोई व्यक्ति भेज सकते हैं।”रामाफोसा के प्रवक्ता विंसेंट मग्वेन्या ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि “राष्ट्रपति चार्ज डी अफेयर्स को सौंपेंगे नहीं।” दक्षिण अफ्रीका ने इसे “अपमान” माना, क्योंकि चार्ज डी अफेयर्स एक अस्थायी या जूनियर राजनयिक होता है, न कि उच्च स्तरीय प्रतिनिधि।G20 Summit
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अमेरिका की प्रतिक्रिया- व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव करोलिन लेविट ने रामाफोसा पर तंज कसते हुए कहा, “रामाफोसा अमेरिका और राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ ‘मुंह चला रहे हैं’, यह भाषा स्वीकार्य नहीं है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका केवल समापन समारोह के लिए कार्यवाहक राजदूत मार्क डी. डिलार्ड को भेजना चाहता था, न कि पूर्ण चर्चाओं में भाग लेने के लिए। अमेरिका ने दावा किया कि दक्षिण अफ्रीका जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर बयान जारी करने के लिए दबाव डाल रही थी, जिसका वे विरोध करते हैं।G20 Summit
समिट पर प्रभाव-सौंपने की प्रक्रिया-पारंपरिक रूप से G20 अध्यक्षता का हस्तांतरण समापन सत्र में होता है, लेकिन दक्षिण अफ्रीका ने कहा कि यह बाद में विदेश मंत्रालय में हो सकता है, अगर अमेरिका उच्च स्तरीय प्रतिनिधि भेजे। अगर नहीं, तो रामाफोसा “खाली कुर्सी” को सौंप सकते हैं।समिट में जलवायु संकट, धन असमानता और गरीब देशों के लिए वित्तीय सहायता पर घोषणा-पत्र पारित हुआ, जिसमें अमेरिका और अर्जेंटीना ने असहमति जताई। वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एआई के दुरुपयोग पर सख्त प्रतिबंध की मांग की। यह अफ्रीका में पहला G20 समिट था, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के 85% और आबादी के दो-तिहाई का प्रतिनिधित्व करता है। बहरहाल समिट आज समाप्त हो गया है, और आगे की कूटनीतिक वार्ताएं जारी रहेंगी।G20 Summit
