दिल्ली की साकेत कोर्ट से JNU स्टूडेंट शरजील इमाम को झटका लगा है। कोर्ट ने इमाम की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि हम जैसा सोचते हैं वैसा ही बन जाते हैं। इसीलिए इसका ध्यान रखें कि आप क्या सोचते हैं। शब्द इतने महत्वपूर्ण नहीं है। विचार जीवंत होते हैं जो दूर तक जाते हैं। कोर्ट ने कहा कि 13 दिसंबर 2019 को शरजील इमाम द्वारा दिया गया भाषण साफ़ संप्रदायिक है।
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कोर्ट ने CAA और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान कथित भड़काऊ भाषण मामले में शरजील इमाम की जमानत याचिका खारिज कर दी। साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशन जज अनुज अग्रवाल ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि इमाम के भाषण पर निगाह डालने भर से साफ हो जाता है कि ये सांप्रदायिक और विभाजनकारी लाइन पर था। ये समाज की शांति के लिए ठीक नहीं था। शरजील इमाम को कथित तौर पर देश विरोधी भाषण देने और पिछले साल जामिया मिलिया इस्लामिया इलाके में दंगे भड़काने के आरोप में 28 जनवरी 2020 को बिहार से गिरफ्तार किया गया था। इस मामले के अलावा इमाम पर फरवरी 2020 में नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुए दंगों का मास्टरमाइंड होने का भी आरोप है जिनमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
कोर्ट में इमाम ने अपने वकील अहमद इब्राहिम के माध्यम से कहा कि वह एक शांतिप्रिय नागरिक हैं और उन्होंने किसी भी विरोध के दौरान कभी भी हिंसा में भाग नहीं लिया।
उन्होंने तर्क दिया कि कोई भी भाषण, 13 दिसंबर के भाषण को तो छोड़ कर, कानून द्वारा स्थापित सरकार के खिलाफ किसी भी तरह के असंतोष को फैलाने या किसी समुदाय के खिलाफ हिंसा या द्वेष को भड़काने के उद्देश्य से नहीं था।
इस मामले के अलावा, इमाम पर फरवरी 2020 के दंगों का “मास्टरमाइंड” होने का भी आरोप है, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हो गए थे। उसके खिलाफ कड़े गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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