जम्मू कश्मीर में बजट सत्र से पहले CM उमर अब्दुल्ला ने गठबंधन सहयोगियों के साथ बैठक की

Jammu and Kashmir Budget:

Jammu and Kashmir Budget: सात वर्षों में जम्मू कश्मीर विधानसभा के पहले बजट सत्र से एक दिन पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने रविवार को सदन के सुचारू संचालन पर चर्चा करने के लिए गठबंधन दलों की एक संयुक्त बैठक की अध्यक्षता की।तीन मार्च को 40 दिवसीय बजट सत्र शुरू होने जा रहा है जिसकी शुरुआत उप-राज्यपाल के अभिभाषण से होगी। सत्र के दौरान कुल 22 बैठकें होंगी।पिछले साल अक्टूबर में सत्ता संभालने के बाद सरकार का ये पहला बजट होगा जिसे मुख्यमंत्री सात मार्च को पेश करेंगे।

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जम्मू कश्मीर में विधानसभा नहीं होने के कारण पिछले पांच बजट संसद द्वारा प्रस्तुत और पारित किए गए थे, जबकि जून 2018 में पीडीपी बीजेपी सरकार के गिरने के बाद तत्कालीन राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने 2019-2020 के खातिर बजट पारित करने के लिए राज्य प्रशासनिक परिषद का नेतृत्व किया था।इस बैठक में कांग्रेस विधायक दल के नेता जी.ए. मीर और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी विधायक एम.वाई. तारिगामी ने भाग लिया। इससे अलग अब्दुल्ला ने अपने आधिकारिक आवास पर नेशनल कॉन्फ्रेंस की विधायक दल की बैठक की अध्यक्षता की जिसके तुरंत बाद ही गठबंधन सहयोगियों के साथ ये बैठक हुई।अब्दुल्ला द्वारा बुलाई गई संयुक्त बैठक में मीर के शामिल होने से पहले ‘रेजीडेंसी रोड’ स्थित पार्टी मुख्यालय में कांग्रेस विधायक दल की भी अलग से बैठक हुई। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला भी संयुक्त बैठक में शामिल हुए।

बैठक के बाद तारिगामी ने कहा, ‘‘बजट सत्र लंबे समय के बाद हो रहा है और लोगों को इस सरकार से काफी उम्मीदें हैं। हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरें, ताकि उन्हें राहत मिले।’उन्होंने कहा कि विधायकों के पास सदन के अंदर जनता के मुद्दे उठाने का अवसर है।नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्य सचेतक मुबारक गुल ने कहा कि पार्टी विधायक दल ने मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक घंटे तक बैठक की, जिसमें विधानसभा में विपक्ष के आरोपों का जवाब देने के लिए पार्टी की रणनीति पर चर्चा की गई।कांग्रेस विधायक दल के नेता जी ए मीर ने कहा, ‘‘सात साल बाद, एक निर्वाचित सरकार द्वारा बजट पेश किया जा रहा है और यह लोगों की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करेगा…लोगों की आवाज छह सप्ताह तक सदन में गूंजेगी।’

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उन्होंने लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि सरकार अगले पांच वर्षों में अपने सभी वादों को पूरा करेगी।इससे पहले मीर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों दलों के लिए विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले अपने विधायक दल की बैठक बुलाना एक परंपरा है, ताकि सदन में उठाए जाने वाले मुद्दों पर चर्चा की जा सके।’कांग्रेस नेता ने कहा कि वे सत्ताधारी गठबंधन के संयुक्त विधायक दल की बैठक में शामिल हो रहे हैं।उन्होंने कहा कि सरकार ने श्रीनगर में आयोजित पिछले सत्र में पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था और इसलिए देरी बीजेपी नीत केंद्र सरकार की ओर से है जिसने इस मसले पर जम्मू-कश्मीर के लोगों से कई बार वादे किए हैं।

मीर ने कहा, ‘‘जब प्रधानमंत्री ने (जून 2021 में) जम्मू कश्मीर के नेताओं की सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता की थी तो हम सभी उनके इस बयान के गवाह थे कि पुनर्गठन के बाद परिसीमन, चुनाव किया जाएगा और फिर पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। केंद्र को जम्मू-कश्मीर में सरकार बनने के बाद अपना वादा पूरा करना चाहिए था, लेकिन देरी उनकी तरफ से हो रही है।मीर ने कहा कि कांग्रेस बार-बार कह रही है कि पिछले साल के विधानसभा चुनावों के दौरान राज्य का दर्जा बहाल करना सबसे बड़ा मुद्दा है और इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) गठबंधन इसके लिए प्रतिबद्ध है। कांग्रेस ‘इंडिया’ में सबसे बड़ा घटक है और उसने अपनी कार्यसमिति की बैठक तथा चुनाव प्रचार के दौरान यह पहले ही स्पष्ट कर दिया है।

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