BJP: राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने सोमवार को नागालैंड में 22वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। अपने संबोधन में उपसभापति ने इस बात पर ज़ोर दिया कि पिछले एक दशक में इस क्षेत्र की सामाजिक और आर्थिक आकांक्षाओं को पूरा करने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया गया है। हरिवंश ने आगे कहा कि उत्तर-पूर्व में निवेश का असर बुनियादी ढाँचे और कनेक्टिविटी में प्रतिबिंबित होने लगा है।
उन्होंने कहा, “इस क्षेत्र में बजट का 10% व्यय करने की प्रतिबद्धता शुरू में ही महत्वाकांक्षी लग रही थी, परंतु वर्ष दर वर्ष, इस दिशा में फोकस ने आज हमें दिखा दिया है कि क्या हासिल किया जा सकता है। 2014 में उत्तर-पूर्व क्षेत्र का पूरा बजट लगभग 24.5 हज़ार करोड़ रुपये था। इस वित्तीय वर्ष में, लक्षित व्यय 1.8 लाख करोड़ रुपये है। सिर्फ 65एक दशक से भी ज़्यादा समय पहले तक, इस क्षेत्र में केवल लगभग 10,900 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग थे। और विगत 10 वर्षों में ही 6,000 किलोमीटर और जुड़ गए हैं। पीएमजीएसवाई के तहत 45 हज़ार किलोमीटर से ज़्यादा ग्रामीण सड़कों का निर्माण हो चुका है। इस वर्ष के अंत तक, उत्तर-पूर्व का प्रत्येक गांव 4जी नेटवर्क से जुड़ जाएगा।”उपसभापति ने कहा कि प्रधानमंत्री के लगभग 70 दौरे और विभिन्न केंद्रीय मंत्रियों के दौरों की आवृत्ति दर्शाती है कि यह क्षेत्र भारत की विकास प्राथमिकताओं के केंद्र में है।
उपसभापति ने जलवायु परिवर्तन के साथ उनकी विकास आकांक्षाओं में संतुलन बनाए रखने में उत्तर-पूर्व राज्यों के सामने मौजूद अनूठी चुनौती को भी रेखांकित किया। उत्तर-पूर्व क्षेत्र, जो कुल भूमि का 8% है, भारत के लगभग 21% वन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है।इस सम्मेलन का विषय “नीति, प्रगति और लोग: परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में विधानमंडल” है। सम्मेलन के दौरान जिन विषयों पर चर्चा की जाएगी, उनमें 2047 तक विकसित भारत में विधानमंडलों की भूमिका और उत्तर-पूर्व क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन शामिल हैं।अपने संबोधन में उन्होंने जयप्रकाश नारायण के योगदान और 1960 के दशक में नागालैंड में शांति संबंधी उनके कार्यों को भी स्मरण किया।लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, नागालैंड के मुख्यमंत्री डॉ. नेफ्यू रियो और नागालैंड विधानसभा अध्यक्ष शारिंगैन लोंगकुमेर भी उद्घाटन सत्र में उपस्थित थे।
