BJP: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कोहिमा में 22वें सीपीए सम्मेलन का उद्घाटन किया

BJP: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज सभी राजनीतिक दलों से विधायी संस्थाओं के सुचारू और व्यवस्थित संचालन को सुनिश्चित करके उनकी गरिमा बनाए रखने की पुरज़ोर अपील की।बिरला ने ज़ोर देकर कहा कि लोकतंत्र शांतिपूर्ण, सुनियोजित और सूचनाप्रद चर्चाओं के माध्यम से मुद्दों को उठाने, चिंताएँ व्यक्त करने और बहस में शामिल होने के पर्याप्त अवसर प्रदान करता है। कोहिमा स्थित नागालैंड विधान सभा में आयोजित राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए), भारत क्षेत्र, ज़ोन-III के वार्षिक सम्मेलन के अवसर पर मीडियाकर्मियों से बात करते हुए, उन्होंने आगाह किया कि सुनियोजित व्यवधान न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमज़ोर करते हैं, बल्कि नागरिकों को सार्थक विचार-विमर्श और जवाबदेही से भी वंचित करते हैं। 1 दिसंबर 2025 से शुरू होने वाले संसद के आगामी शीतकालीन सत्र का उल्लेख करते हुए, श्री बिरला ने सभी राजनीतिक दलों से सदन की कार्यवाही का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने का आग्रह किया। उन्होंने आगे  कहा कि पारदर्शी शासन और कल्याणकारी नीति निर्माण के लिए विधानमंडलों को अधिक सक्रिय और रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए।BJP

इस वर्ष के सम्मेलन का विषय है “नीति, प्रगति और नागरिक: परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में विधायिका”। बिरला ने आशा व्यक्त की कि सम्मेलन के दौरान सार्थक विचार-विमर्श से पूर्वोत्तर की विधायिकाओं को अधिक सशक्त, जवाबदेह और कुशल बनाने के उद्देश्य से ठोस कार्य योजनाएँ तैयार होंगी।इससे पहले, राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र, जोन-III सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए,लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने इस बात पर ज़ोर दिया कि विधानमंडलों को जनमत को नीति में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। ओम बिरला ने कहा कि विधानमंडलों का दायित्व मात्र कानून बनाने तक ही सीमित नहीं है—बल्कि उन्हें लोगों की आकांक्षाओं और सरोकारों को कार्यान्वयन-योग्य नीतियों का रूप भी देना है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि व्यापक विकास केवल सक्रिय जनभागीदारी से ही संभव है, और कहा कि सच्ची प्रगति तब होती है जब नागरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया में प्रत्यक्ष ढंग से शामिल होते हैं। इसलिए जनप्रतिनिधियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नीति निर्माण में नागरिकों की आवाज़ सार्थक रूप से प्रतिबिंबित हो।बिरला ने लोकतंत्र को नागरिकों के निकट लाने में नई तकनीकों और नवाचारों के प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अधिकांश विधानमंडल अब पेपरलेस बन गए हैं और डिजिटल  प्रणालियों को अपना रहे हैं। श्री बिरला ने कहा कि भारत के लोग ही लोकतंत्र की नींव हैं और हमारे संविधान-निर्माताओं ने इसी सिद्धांत को सर्वोपरि रखा । उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि पारदर्शिता और जवाबदेही लोकतान्त्रिक शासन का आधार होना चाहिए। बिरला ने सभी विधायी निकायों से विधायी प्रक्रिया में व्यापक जन भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण करने , नागरिक-अनुकूल डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की सुविधा प्रदान करने और बेहतर पहुँच हेतु समुचित तंत्र विकसित करने जैसे उपायों को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने आगे कहा, “जब किसी राज्य में जनमत नीति का आधार बनता है, तो वह राज्य निरंतर और सतत विकास प्राप्त करता है।”BJP
लोकसभा अध्यक्ष ने उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के विधानमंडलों में हो रहे उल्लेखनीय डिजिटल परिवर्तन की सराहना की और इसे आधुनिक और पारदर्शी शासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने विशेष रूप से नागालैंड विधान सभा के पूरी तरह से पेपरलेस विधानमंडल बनने पर इसकी प्रशंसा की और इसे भारत में डिजिटल शासन का एक अग्रणी मॉडल बताया। बिरला ने कहा कि इस तरह की डिजिटल पहल न केवल दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाती है, बल्कि विधायी कार्यप्रणाली को अधिक सुलभ और जन-केंद्रित भी बनाती है। साथ ही, उन्होंने उभरती प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के गैर-ज़िम्मेदारीपूर्ण उपयोग के बारे में सावधान करते हुए विधायकों से एआई को इस ढंग से अपनाने का आग्रह किया जिससे पारदर्शिता को बढ़ावा मिले, लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं मज़बूत हों और विधायी कार्यवाही में बाधा न आए ।
केंद्र और राज्यों के संबंधों के बारे में अध्यक्ष महोदय ने कहा कि यद्यपि सरकार का प्रत्येक स्तर स्पष्ट रूप से परिभाषित संवैधानिक ढाँचों के भीतर कार्य करता है, फिर भी ठोस परिणाम प्राप्त करने के लिए दोनों के बीच प्रभावी सहयोग अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि केंद्र और राज्यों के बीच रचनात्मक संवाद न केवल शासन को मज़बूत करता है, बल्कि इससे ऐसी नीतियों का निर्माण भी होता है जो अधिक उत्तरदायी, समावेशी और क्षेत्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप होती हैं। श्री बिरला ने आगे कहा कि हाल के वर्षों में बेहतर सहयोग से उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में अवसंरचना, संपर्क और सार्वजनिक सेवाएँ प्रदान करने में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।BJP
बिरला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप पूर्वोत्तर को विकास के केन्द्र के रूप में स्थापित करने और भारत की एक्ट ईस्ट नीति की धुरी बनाने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। उत्तर-पूर्वी राज्यों के समग्र विकास के लिए व्यापक कार्य योजना की आवश्यकता पर बल देते हुए, ओम बिरला ने इस क्षेत्र की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों और जलवायु संबंधी चुनौतियों को ध्यान में रखने के महत्व पर प्रकाश डाला।बिरला ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ऐसी कार्य योजना में प्राकृतिक आपदाओं सहित जलवायु संबंधी उभरते जोखिमों का विशेष रूप से समाधान किया जाना चाहिए, जिनका क्षेत्र की आजीविका और अवसंरचना पर गहरा प्रभाव पड़ता है। सतत और समावेशी विकास के महत्व पर बल देते हुए, बिरला ने कहा कि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के विकास से जुड़ी रणनीतियों में दीर्घकालिक प्रगति सुनिश्चित करने के लिए जलवायु संबंधी रेज़िलिएंस, हरित अवसंरचना और सक्रिय सामुदायिक भागीदारी को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि इस क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए इसकी अपार क्षमता का दोहन करने के लिए केंद्र, राज्य सरकारों और स्थानीय समुदायों के बीच सहयोग आवश्यक हैं।BJP
ओम बिरला ने कहा कि यह गर्व की बात है कि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के सभी विधानमंडल स्थानीय आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के प्रति सजग रहते हुए सामूहिक विचार-विमर्श और निर्णय लेने की परंपरा को कायम रख रहे हैं।बिरला ने कहा कि ये विधानमंडल शासन में जवाबदेही और पारदर्शिता को मजबूत करने के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं, जो सहभागी लोकतंत्र की सच्ची भावना को दर्शाता है। लोकसभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि उत्तर-पूर्वी राज्यों में विशेषकर सड़क, रेल और हवाई संपर्क सहित  अवसंरचना के विकास में तेज़ी से प्रगति हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विज़न के अनुरूप, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को राष्ट्रीय विकास की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। इस क्षेत्र में विद्यमान विकास की अपार संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए, श्री बिरला ने कहा कि इसकी जीवंत संस्कृति, समृद्ध परंपराएँ और प्राकृतिक सौंदर्य इसे वास्तव में अद्वितीय बनाते हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि स्थानीय उत्पादों, कलाओं, संस्कृति और पारंपरिक शिल्पों को बढ़ावा देना आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।बिरला ने विधानमंडलों से आग्रह किया कि वे ऐसी नीतियाँ अपनाएँ जो उद्योग और उद्यमिता को बढ़ावा दें, जिससे स्थानीय समुदायों के लिए अधिक अवसर पैदा हों और व्यापक आर्थिक सशक्तिकरण संभव हो।
अपने संबोधन का समापन करते हुए, ओम बिरला ने विश्वास व्यक्त किया कि सीपीए भारत क्षेत्र, ज़ोन-III के दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान  पूरे क्षेत्र में लोकतांत्रिक संस्थाओं को मज़बूत करने, विधायी प्रथाओं को बेहतर बनाने  और शासन में जनता का विश्वास बढ़ाने के लिए ठोस सुझाव प्राप्त होंगे। उन्होंने आगामी हॉर्नबिल महोत्सव से पहले सभी प्रतिनिधियों को हार्दिक बधाई दी और इसे नागालैंड की संस्कृति, रेज़िलिएंस, कलात्मकता और सामुदायिक भावना का वैश्विक उत्सव बताया। नागालैंड में गर्मजोशी से किए गए आतिथ्य-सत्कार  की सराहना करते हुए,बिरला ने कहा कि इस तरह के आयोजन उत्तर-पूर्वी राज्यों की विधान सभाओं के बीच घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देते हैं और क्षेत्रीय आकांक्षाओं और विकास संबंधी प्राथमिकताओं पर सामूहिक चिंतन के लिए महत्वपूर्ण मंच प्रदान करते हैं। सम्मेलन के दौरान सार्थक विचार-विमर्श की आशा व्यक्त करते हुए, बिरला ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि “नीति, प्रगति और नागरिक: परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में विधानमंडल” विषय पर चर्चा के माध्यम से  उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के राज्यों की विधानसभाओं को अधिक सशक्त, जवाबदेह और कुशल बनाने के उद्देश्य से ठोस कार्ययोजनाएँ बनाई जा सकेंगी। BJP
कार्यक्रम के दौरान, नागालैंड के मुख्यमंत्री,  नेफ्यू रियो; राज्य सभा के उपसभापति,  हरिवंश, नागालैंड विधान सभा के अध्यक्ष, शारिंगेन लोंगकुमेर और नागालैंड सरकार के संसदीय कार्य मंत्री, के.जी. केन्ये ने भी सभा को संबोधित किया। भारत के आठ उत्तर-पूर्वी राज्यों के विधानमंडल सीपीए ज़ोन 3 के सदस्य हैं। इस सम्मेलन में इस ज़ोन के 8 सदस्य राज्यों में से 7 विधानमंडलों ने भाग लिया। सम्मेलन में कुल 12 पीठासीन अधिकारियों ने भाग लिया, जिनमें 7 अध्यक्ष और 5 उपाध्यक्ष शामिल थे। इस क्षेत्र के संसद सदस्यों और विधान सभाओं के सदस्यों ने भी सम्मेलन में भाग लिया।BJP

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