Bihar Politics: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग ने 24 जून 2025 को विशेष गहन पुनरीक्षण एसआईआर का आदेश जारी किया था। लेकिन इस फैसले ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। विपक्षी नेताओं और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ADR ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 325 और 326 का उल्लंघन करती है और लाखों मतदाताओं को “बिना उचित प्रक्रिया” के मताधिकार से वंचित कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में त्वरित सुनवाई की मांग को स्वीकार करते हुए 10 जुलाई को सुनवाई का फैसला किया है।
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विपक्षी दलों, खासकर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने इस प्रक्रिया को “अलोकतांत्रिक” और “लाखों मतदाताओं को वोटिंग के अधिकार से वंचित करने की साजिश” करार दिया है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा, “8 करोड़ मतदाताओं का सत्यापन 25 दिनों में करना असंभव है। बिहार के 4 करोड़ प्रवासी लोग कैसे इतनी जल्दी दस्तावेज जमा करेंगे?”कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे “दलितों और वंचित वर्गों के मताधिकार को छीनने की बीजेपी-आरएसएस की साजिश” बताया है। वहीं, अदालत में अर्जी लगाने वाली टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने इसे बिहार में युवा मतदाताओं को वोट से वंचित करने का “कुटिल खेल” करार दिया और दावा किया कि इसका अगला निशाना पश्चिम बंगाल हो सकता है।
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वही बीजेपी का आरोप है कि “विपक्ष अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं के पक्ष में खड़ा है। बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि वोटर लिस्ट में पारदर्शिता जरूरी है। बीजेपी और एनडीए ने एसआईआर की इस प्रक्रिया का समर्थन करते हुए विपक्ष पर “चुनाव में हार के डर से बहाने बनाने” का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, चुनाव आयोग ने अपने फैसले का बचाव किया है। चुनाव आयोग का कहना है कि, “यह प्रक्रिया पारदर्शी है और सभी पात्र मतदाताओं को शामिल करने के लिए है। बिहार में 2003 के बाद इतने बड़े पैमाने पर वोटर लिस्ट का संशोधन नहीं हुआ था।”
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि 25 जुलाई तक दस्तावेज जमा करने की समयसीमा है, और इसके बाद भी दावे और आपत्तियों के लिए समय दिया जाएगा । आयोग के मुताबिक, अब तक 7.96 करोड़ मतदाताओं में से 87% को प्री-फिल्ड फॉर्म दिए जा चुके हैं, और करीब 38 लाख फॉर्म जमा हो चुके हैं। साथ ही, आधार कार्ड, राशन कार्ड और मनरेगा कार्ड जैसे दस्तावेजों को भी सत्यापन के लिए स्वीकार करने की मांग को आयोग ने मान लिया है। बहरहाल कानूनी लड़ाई के साथ-साथ विपक्ष इस मुद्दे पर सड़कों पर उतरने की तैयारी में है। 9 जुलाई को पटना में राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और पप्पू यादव के नेतृत्व में “चक्का जाम” प्रदर्शन की योजना है।
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