Chhattisgarh: कभी नक्सल हिंसा से जूझते रहे बस्तर में अब हालात बदल रहे हैं। इसी सकारात्मक परिवर्तन का प्रमाण है जगदलपुर में शुरू हुआ ‘पंडुम कैफ़े’, जिसका शुभारंभ आज मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने किया। यह कैफ़े राज्य की पुनर्वास नीति की वह मिसाल है, जहाँ आत्मसमर्पित नक्सली और नक्सली हिंसा के पीड़ित युवा सम्मानजनक आजीविका के साथ नई जिंदगी की ओर बढ़ रहे हैं। Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल पुनर्वास नीति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में चल रही “नक्सल-मुक्त भारत” की रणनीति, और बस्तर में लागू नियाद नेल्लनार योजना ने आत्मसमर्पण और पुनर्वास की प्रक्रिया को पहले से अधिक तेज़ और प्रभावी बनाया है। परिणामस्वरूप, बस्तर में ऐसे कई युवा सामने आए हैं जो संघर्ष के रास्ते को छोड़कर समाज से जुड़ने के लिए तैयार हैं। Chhattisgarh
इन्हीं युवाओं को जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा कैफ़े प्रबंधन, ग्राहक सेवा, स्वच्छता, खाद्य सुरक्षा और बुनियादी आतिथ्य कौशल का प्रशिक्षण दिया गया है। आज ‘पंडुम कैफ़े’ में काम करने वाले फगनी, पुष्पा, आशमती, प्रेमिला और बीरेंद्र जैसे युवा कभी हिंसा के दायरे में थे, लेकिन अब वही लोग मुस्कान और संवाद के माध्यम से शांति की तरफ बढ़ने वाले चेहरों के रूप में पहचाने जा रहे हैं मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कैफ़े के उद्घाटन के दौरान इन युवाओं से बातचीत की और कहा कि ‘पंडुम कैफ़े’ बस्तर में नक्सलवाद के घटते प्रभाव और बढ़ते विश्वास का प्रतीक है। यह केवल एक उद्यम नहीं, बल्कि राज्य सरकार के उस संकल्प का हिस्सा है जो बस्तर को भय से भरोसे की ओर आगे बढ़ाता है। Chhattisgarh
पंडुम’ बस्तर की पारंपरिक संस्कृति को दर्शाता है, और कैफ़े की टैगलाइन “जहाँ हर कप एक कहानी कहता है” इन युवाओं की वास्तविक यात्रा को सामने लाती है — जहाँ हर कप कॉफी उनके संघर्ष, आत्मसम्मान और नए जीवन की कहानी कहता है।हिंसा का मार्ग छोड़कर शांति के पथ पर लौटे और कैफ़े में कार्यरत एक महिला ने इस अवसर पर भावुक होकर इस पुनर्वास पहल से हुए बदलाव की बात दोहराई। एक पूर्व माओवादी कैडर ने कहा कि,हमने अपने अतीत में अंधेरा देखा था। आज हमें समाज की सेवा करने का यह अवसर मिला है, यह हमारे लिए एक नया जन्म है। बारूद की जगह कॉफी परोसना और अपनी मेहनत की कमाई से जीना—यह एहसास हमें शांति और सम्मान दे रहा है।Chhattisgarh
एक अन्य सहयोगी ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि,पहले हम अपने परिवार को सम्मानजनक जीवन देने का सपना भी नहीं देख सकते थे। अब हम अपनी मेहनत से कमाए पैसों से घर के सदस्यों का भविष्य संवार सकते हैं। यह सब प्रशासन और इस कैफ़े की वजह से संभव हुआ है।एक अन्य सदस्य ने समुदाय के सहयोग पर जोर देते हुए कहा कि, हमें लगा था कि मुख्यधारा में लौटना आसान नहीं होगा, लेकिन पुलिस और जिला प्रशासन ने हमें प्रशिक्षण दिया और हमारा विश्वास जीता। सबसे बड़ी बात यह है कि हम अब पीड़ितों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जिससे हमें अपने अतीत के अपराधों को सुधारने और शांति स्थापित करने का अवसर मिला है। Chhattisgarh