महाराष्ट्र विधानसभा में सीएम शिंदे का शक्ति परीक्षण सफल रहा। सदन में हुए फ्लोर टेस्ट में सीएम शिंदे ने बहुमत साबित कर दिया है। इसी के साथ राज्य में अब शिंदे सरकार को किसी तरह का खतरा नहीं है।
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सदन में बहुमत साबित करने के लिए जैसे ही कार्रवाई शुरू हुई तो पहले ध्वनिमत के जरिये फैसला करने की कोशिश की गई। सदन में मौजूद विधायकों ने ध्वनिमत का विरोध किया जिसके बाद मतदान शुरू हुआ उसमें सबसे पहले शिंदे समर्थक विधायकों ने वोट डाला जिसके बाद शिंदे के विरोध में 99 विधायकों ने वोट डाले।
सीएम शिंदे को बहुमत परीक्षण के दौरान कुल 164 वोट मिले जबकि उनके विरोध में कुल 99 वोट पड़े। महाराष्ट्र में सरकार चलाने के लिए शिंदे को 144 वोटों की जरूरत थी लेकिन उनको जरूरत से 20 वोट ज्यादा मिले।
जानकारी के मुताबिक शक्ति परीक्षण के दौरान अघाड़ी गुट के पांच विधायक गैर–हाजिर रहे। इनमें कांग्रेस के बड़े नेता अशोक चव्हाण का नाम शामिल है। देर से पहुंचने के कारण कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण सहित कई विधायक सदन में नहीं जा पाए और मतदान प्रक्रिया के दौरान उन्हें गैर–हाजिर मान लिया गया। वहीं बागी विधायकों में राहुल पाटिल, कैलाश पाटिल, नितिन ताले, वैभव नायक ने शिंदे के विरोध में वोट डाला। समाजवादी पार्टी के अबू असीम सहित दोनों विधायक तटस्थ रहे। महाराष्ट्र विकास अघाड़ी की सहयोगी बहुजन विकास अघाड़ी के विधायक ने भी सदन में वोटिंग के दौरान एकनाथ शिंदे के समर्थन में वोट डाला।
सदन में जब भी इस तरह से वोटिंग की जाती है तब सदन के दरवाजे बंद कर दिये जाते हैं और उसके बाद जितने भी विधायक सदन में मौजूद होते हैं उन्हें ही वोट डालने का अधिकार मिलता है और दरवाजे बंद होने के बाद जो भी विधायक बाहर रह जाते हैं उन्हें गैर–हाजिर मान लिया जाता है। सदन में मौजूद विधायकों की संख्या के आधे से एक ज्यादा विधायक के वोट पर ही फैसला लिया जाता है।
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