Gopal Rai on Diwali: दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने राजधानी के लोगों से दिवाली पर पटाखे न जलाने की अपील की है, क्योंकि इससे प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ती हैं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए। गोपाल राय ने कहा कि पटाखों से दूर रहते हुए दीया जलाकर और मिठाइयां बांटकर दिवाली त्योहार को मनाया जा सकता है।उन्होंने ये भी कहा कि पटाखों का धर्म से कोई संबंध नहीं है।
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राम का स्वागत दीपों से किया गया- गोपल राय ने कहा, “अयोध्या में राम का स्वागत दीपों से किया गया था। मैंने किसी प्राचीन ग्रंथ में नहीं पढ़ा कि लोगों ने उनके स्वागत में पटाखे फोड़े हों।”बुधवार को राय ने घोषणा की कि राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों पर प्रतिबंध को लागू करने के लिए 377 टीमों का गठन किया गया है।
दिल्ली में फिर बढ़ा AQI- धूमधाम से दीये जलाए, मिठाइयां बांटे दिवाली मनाए लेकिन पटाखे ना जलाए। क्योंकि अगर पटाखे जलने की घटनाएं होती है तो जो फिर एक्यूआई का जो स्तर है जैसा हम देखते हैं रात में पटाखे जलते हैं तो सुबह तक पूरा दिल्ली धुआं-धुआं हो जाती है तो हम सब लोगों को मिलकर ये ध्यान रखना है आपका एक पटाखा थोड़े देर के लिए खुशी देता है लेकिन आपके घर के बच्चे और आपके घर के बुजुर्गों की जिंदगी पर लंबा असर छोड़ जाता है। इसलिए हम लोगों की सामूहिक जिम्मेदारी है कि धूमधाम से त्योहार मनाए, खुशियां मनाए और अपने घर के बच्चों और बुजुर्गों की खुशियों का भी ध्यान रखें जिससे हम प्रदूषण को, दिवाली के अगले दिन जो संकट होता है उससे बचा सकते है।”
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पटाखों ने हिन्दू धर्म को पैदा नहीं किया- पटाखे का धर्म से कोई संबंध नहीं है। लोगों के जिंदगी बचाने के लिए अभियान है लेकिन जहां तक धर्म की बात है, मैंने जितना इतिहास पढ़ा है, पटाखों ने हिन्दू धर्म को पैदा नहीं किया और ना तो सनातम धर्म इन पटाखों पर निर्भर है। दीपावली की जहां तक बात है, दीपावली की हमारी पूर्वजों ने शुरुआत की। कहते हैं प्रभु श्रीराम जब अयोध्या आए, वनवास से वापस लौटकर तो दीपावली की शुरुआत हुई। दीये जलाए गए। हमने तो आजतक नहीं पढ़ा किसी भी पुराण में, किसी भी ग्रंथ में जब प्रभु श्रीराम आए थे तो पटाखे जलाए गए थे।”