अमन पांडेय : लैब में बने हीरे अब आप के मन में सवाल जरुर उठा होगा की आखिर ये कैसे बनता है? वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा कि वो लैब में बनने वाले हीरों के उत्पादक को बढावा देने के लिए आईआईटी को ग्रांट देंगी। आपको बता दें कि इस समय प्राकृतिक हीरों के बाद लैब में बने हीरों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए जरुरी है कि इस उघोग को आगे बढ़ाने के लिए प्लेटफॉर्म तैयार किया जाए। इनके लिए मैन्यूफैक्चरिंग लैब बनाए जाएं।
इन लैब्स को बनाने में तकनीकी मदद ली जाए।इसलिए वित्त मंत्री ने आईआईटी को ग्रांट देने की बात कही है। क्योंकि आईआईटी से बेहतर लैब बनाने वाली संस्था देश में और कौन कौन सी हो सकती है। हीरा व्यापारियों ने वित्त मंत्री से अपील की थी कि लैब में बनने वाले हीरों को बनाने के लिए जो उपकरण लगते हैं। उनकी इंपोर्ट ड्यूटी कम की जाए या खत्म की जाए।
प्राकृतिक हीरे बेशकीमती होते हैं। हीरा एक खनिज है, जो जमीन के नीचे मैजूद कार्बनिक पदार्थ होता है।हीरा तो शुध्द रुप से कार्बनिक है। यानी इसे अगर आप जलाते हैं तो अंत मं आपको राख भी नहीं मिलेगी। यह कार्बन में बदल जाएगा। जमीन केअंदर भयानक दबाव और तापमान में जब कार्बन के कण मिलते हैं, वो हीरा बनाते है।
लैब में हीरे कैसे बनते है ?
आजकल हीरों को एक दूसरा उघोग भी है। जिसे लैब में बने हीरों का उघोग कहते हैं यानी लैब ग्रोन डायमंडस इन्हें आर्टिफिशियल हीरा भी कहा जाता है। या हिरे दिखने एकदम असली हिरे जैसे होते है। जैसे हम किसी डिब्बे में चीनी को दबा दबा को भरते है। वैसे ही कार्बन के कई अणु ठूंस ठूंसकर जोड़े जाते हैं, तब हीरा बनता है। इन्हें बनाने के लिए लैब उच्च तापमान और दबाव पैदा किया जाता है।
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कई रंग के होते हैं हीरे
हीरे केवल सफेद ही नहीं होते अशुध्दीयों के कारण इसका शेड नीला,लाल,संतरा ,पीला, हरा व काला होता है। हरा हीरा सबसे दुर्लभ है। हीरे को यदि ओवन में 763 डिग्री सेल्सियस पर गर्म कर दिया जाय तो यह जलकर कार्बन डाई ऑक्साइड बना लेता है। यहां एकदम राख नहीं बचती । इससे यह प्रमाणित होता है कि हीरा कार्बन का शुध्द रुप है।
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