INS: राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज स्वदेशी पनडुब्बी INS वाघशीर पर सवार होकर समुद्र की गहराइयों में भारतीय नौसेना की ताकत का जायजा लिया है।इसी के साथ आज का दिन भारतीय नौसेना के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया है। देश की राष्ट्रपति और सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर, द्रौपदी मुर्मू ने आज समुद्र की गहराइयों में उतरकर भारतीय नौसेना के शौर्य को करीब से देखा। INS:
कर्नाटक के कारवार में राष्ट्रपति ने स्वदेशी पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर (INS Vagsheer) पर सवार होकर एक महत्वपूर्ण समुद्री भ्रमण किया।देश की सुरक्षा का जायजा लेने और जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज कर्नाटक के कारवार नौसेना बंदरगाह पहुंचीं। यहाँ उन्होंने स्वदेशी ‘कलवरी श्रेणी’ की पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर पर सवार होकर समुद्र के भीतर दो घंटे से अधिक का समय बिताया। उनके साथ नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी भी मौजूद रहे।INS:
राष्ट्रपति मुर्मू, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के बाद पनडुब्बी में यात्रा करने वाली देश की दूसरी राष्ट्रपति बन गई हैं। यह पहली बार है जब किसी राष्ट्रपति ने स्वदेशी कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी पर सैन्य परिचालन स्थितियों का अनुभव किया है।यात्रा के बाद भावुक और गौरवान्वित राष्ट्रपति ने चालक दल की प्रशंसा करते हुए कहा कि-”आईएनएस वाघशीर के चालक दल के अनुशासन, आत्मविश्वास और उत्साह को देखकर मुझे यह पूर्ण विश्वास हो गया है कि हमारी पनडुब्बियां और भारतीय नौसेना किसी भी खतरे का सामना करने और हर परिस्थिति में युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार हैं।“INS:
समुद्री भ्रमण के दौरान राष्ट्रपति ने न केवल पनडुब्बी की कार्यप्रणाली को समझा, बल्कि चालक दल के साथ संवाद कर उनका उत्साहवर्धन भी किया। उन्होंने पनडुब्बी के ‘ऑपरेशनल डेमोंस्ट्रेशन’ यानी परिचालन प्रदर्शनों को भी देखा।विजिटर बुक में अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए राष्ट्रपति ने लिखा कि आईएनएस वाघशीर का आदर्श वाक्य ‘वीरतापूर्ण विजय’ इसके नाविकों के समर्पण में साफ झलकता है। इससे पहले नवंबर 2024 में भी राष्ट्रपति ने विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर नौसेना की ताकत का अवलोकन किया था, जो सेनाओं के प्रति उनकी निरंतर सहभागिता को दर्शाता है।डॉ. कलाम के बाद पनडुब्बी में यात्रा करने वाली वे दूसरी और पहली महिला राष्ट्रपति बनीं है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की यह समुद्री यात्रा न केवल नौसेना के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ की उस ताकत को भी दर्शाती है जो आज समुद्र की लहरों के नीचे साइलेंट किलर के रूप में मौजूद है। INS:
