बेसहारा बच्चों का सहारा बनी कल्पना पंत, बेंगलुरु से उठा रहीं पढ़ाई का जिम्मा

Kalpana Pant: पिछले साल उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के मरचूला में हुए बस हादसे में 36 लोगों की जान चली गई, कई बच्चे अनाथ हो गए और कई परिवार बिखर गए।ये दुखद घटना उत्तराखंड के रामनगर की कल्पना पंत की जिंदगी में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गई। कल्पना ने बस हादसे में बेसहारा हुए तीन बच्चों का हाथ थामा और उनकी स्कूल की फीस से लेकर परिवहन और यूनिफॉर्म तक पढ़ाई से जुड़ी उनकी हर जिम्मेदारी ले ली।

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आज कई और लोग भी कल्पना के साथ जुड़ गए हैं। मूल रूप से उत्तराखंड की रहने वाली कल्पना फिलहाल बेंगलुरू में रहती हैं और वहीं काम करती हैं।कल्पना और उनके दोस्तों ने मिलकर एक संस्था विज़डम विंग्स सोसाइटी बनाई है। ये संस्था उत्तराखंड के 12 अनाथ बच्चों को उनकी शिक्षा जारी रखने में मदद करती है।

कल्पना पंत, सामाजिक कार्यकर्ता- कुछ बच्चे जो कि असहाय हो जाते हैं चाहे उनके पेरेंट्स की डेथ हो जाती है किसी भी कार एक्सीडेंट में, रोड एक्सीडेंट में या पहाड़ों में जाते टाइम जब हमने कितने ही देखें हैं कांड जैसे मार्चुला कांड था। तो उसके बाद बच्चों की एजुकेशन और ये सब बच्चों की रुक जाती है और जो बच्चा बढ़ने सक्षम है जो आगे कुछ कर सकता है तो हमारा सिर्फ यही था कि उनकी एजुकेशन रुकनी नहीं चाहिए।

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जब हम लोग देखते हैं कि मतलब हम सक्षम हैं और हम अपने बच्चों को जब हम बैंगलोर जैसी सिटी पर एक मगर बहुत अच्छा उनकी बर्थडे पार्टी में भी बहुत अच्छा एक्सपेंसिव गिफ्ट दे सकते हैं। 25000 रुपये खर्च कर सकते हैं, तो यहां के बच्चों की तो सिर्फ एक फीस ही मामूली साल भर की 25000 रुपये जाती है। तो क्या हम उनके लिए कुछ नहीं कर सकते हैं? और ऐसी ही सोच रखकर हमने जो शुरू किया वो किया तो हमें अपने आप में भी समझने का मौका मिला।

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