केंद्र की मोदी कैबिनेट की ओर से बुधवार की बैठक में लिए गए जाति जनगणना कराने के फैसले के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बुधवार को जोर देकर कहा कि केंद्र को सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण भी कराना चाहिए, क्योंकि जाति जनगणना ही पर्याप्त नहीं होगी।
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सिद्धारमैया ने कहा, “हमने (कांग्रेस) अपने घोषणापत्र में कहा था कि सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना कराई जानी चाहिए। मुझे नहीं पता कि वे केवल जाति जनगणना करेंगे या सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण भी करेंगे। सामाजिक न्याय के लिए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण जरूरी है।”
कर्नाटक ने राज्य की 94 प्रतिशत आबादी को कवर करते हुए ‘सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण’ कराया। 2015 से नौ साल तक चली इस कवायद के बाद तत्कालीन पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जयप्रकाश हेगड़े ने फरवरी 2024 में मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपी। मुख्यमंत्री ने कहा, “मंत्रियों की तरफ से लिखित में अपनी राय रखने के बाद, हम कैबिनेट में पेश करेंगे और सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पर चर्चा करेंगे।”