जानिए! अहोई अष्टमी का व्रत एक खास अहमियत क्यों रखता है ?

भारत में कई त्यौहार मनाये जाते हैं और कई व्रत भी होते हैं लेकिन अहोई माता का व्रत एक खास अहमियत रखता है क्योंकि ये व्रत भारतीय स्त्रियां अपनी संतान के लिए रखती है। इस व्रत से पहले महिलाएं बाजार से गन्ना, सिंघाड़े आदि खरीदकर उनकी पूजा करती है और इसी के साथ ही अहोई माता की पूजा के बाद आसमान में तारो को देखकर व्रत खोलती है।

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सुहागिनो का सबसे बड़ा पर्व करवा चौथ होता है जो महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए रखती हैं। उसके बाद महिलाओं का दूसरा सबसे बड़ा व्रत अहोई अष्टमी का व्रत होता जो अपनी संतान के लिए रखा जाता है। महिलाओं ने बताया कि आज का व्रत अहोई अष्टमी का व्रत है जिसे सुबह चार बजे सरगी से शुरू किया जाता है फिर सारा दिन नीरजल रहती है।

उन्होंने बताया कि ये व्रत महिलाएं अपने बच्चों की दिर्धायु के लिए रखती है। शाम को अहोई अष्टमी की पूजा के लिए गन्ने व पकवान बनाती है। उन्होंने बताया कि अहोई अष्टमी का व्रत बच्चो की सुख सनमती के लिए कार्तिक की अष्टमी पर रखा जाता है। उन्होंने बताया कि आज के दिन माताएं अपने बच्चों की हर इच्छा पूरी करती है। उन्होंने कहा कि आज के दिन सिआहु माता के लिए जितनी बच्चे की उम्र होती है उतने ही माला में डालते है और शाम को पूजा करने बाद तारो को देखकर ही ये व्रत खुलता है।

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इस व्रत की महत्ता बताते हुए कहा कि आज बड़े ही पुण्य का दिन है और माताओं और बहनों के लिए बड़े ही सौभाग्य की बात है कि आज कृष्ण पक्ष की अष्टमी है और आज अहोई अष्टमी का व्रत है। आज माताएं व बहनें अपने पुत्र, पुत्री संतान के सुख की कामना के लिए उनकी दिर्धायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

आज का पूजन जो होता है वो अहोई माता को प्रसन्न करने के लिए होता है ताकि उनके बच्चे दिर्धायु रहें, जीवन में खूब तरक्की करें। आज अहोई माता का पूजन किया जाता है और कई महिलाएं निर्जला व्रत रखती है और कुछ फलाहार होकर व्रत करती है। उन्होंने बताया कि आज के दिन इस व्रत में गन्ने का पूजन विशेष रूप से किया जाता है। उन्होंने बताया कि शाम के समय जब महिलाएं पूजन करती है और तारों को देखकर की भोजन का प्रशाद ग्रहण करती है।

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