देश की राजधानी दिल्ली में आज BJP मुख्यालय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में BJP संसदीय दल की बैठक हुई है। इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई है और इसके साथ ही NDA की ओर से सी.पी. राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चुनने का फैसला लिया गया है।
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सीपी राधाकृष्णन पर NDA ने क्यो दांव लगाया:
NDA ने सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चुनने का फैसला कई रणनीतिक और राजनीतिक कारणों से किया है, जो उनकी पृष्ठभूमि, अनुभव और क्षेत्रीय प्रभाव पर आधारित हैं। निम्नलिखित कारणों से NDA ने उन पर दांव लगाया है-
लंबा राजनीतिक अनुभव और BJP से निष्ठा:
सीपी राधाकृष्णन BJP के वरिष्ठ नेता हैं और चार दशकों से अधिक समय से राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने 1998 और 1999 में कोयंबटूर से लोकसभा सांसद के रूप में जीत हासिल की और तमिलनाडु बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। उनकी आरएसएस की पृष्ठभूमि और बीजेपी के प्रति निष्ठा उन्हें एनडीए के लिए एक भरोसेमंद चेहरा बनाता है।
दक्षिण भारत में प्रभाव और क्षेत्रीय संतुलन:
राधाकृष्णन तमिलनाडु से हैं, और दक्षिण भारत में BJP का प्रभाव बढ़ाने की रणनीति के तहत उनकी उम्मीदवारी एक महत्वपूर्ण कदम है। तमिलनाडु जैसे राज्य, जहां BJP का प्रभाव पारंपरिक रूप से कम रहा है, वहां राधाकृष्णन जैसे स्थापित नेता की उम्मीदवारी से पार्टी को क्षेत्रीय आधार मजबूत करने में मदद मिल सकती है। उनकी उम्मीदवारी दक्षिण भारत को राष्ट्रीय राजनीति में प्रतिनिधित्व देने का संदेश भी देती है।
प्रशासनिक अनुभव:
राधाकृष्णन वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं और इससे पहले झारखंड के राज्यपाल रह चुके हैं। उन्होंने तेलंगाना और पुदुचेरी में भी अतिरिक्त प्रभारी के रूप में काम किया है। उनका यह प्रशासनिक अनुभव उन्हें उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद के लिए उपयुक्त बनाता है, जहां निष्पक्षता और प्रशासनिक कुशलता महत्वपूर्ण होती है।
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NDA गठबंधन की एकजुटता:
राधाकृष्णन की उम्मीदवारी को NDA के सहयोगी दलों ने भी समर्थन दिया है। उनकी स्वीकार्यता गठबंधन के भीतर एकता को मजबूत करती है। यह फैसला एनडीए की रणनीति को और मजबूत करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी और BJP नेतृत्व का भरोसा:
उनकी उम्मीदवारी की घोषणा BJP अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने की, और माना जाता है कि इस फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहमति है। यह दर्शाता है कि राधाकृष्णन को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का विश्वास प्राप्त है।
जातिगत और सामाजिक समीकरण:
राधाकृष्णन की उम्मीदवारी दक्षिण भारत के साथ-साथ सामाजिक समीकरणों को भी संतुलित करने की कोशिश है। उनकी आरएसएस पृष्ठभूमि और तमिलनाडु की राजनीति में सक्रियता उन्हें विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच स्वीकार्य बनाती है।