Paris Paralympics: पेरिस पैरालंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने कमाल कर दिखाया। उन्होंने 29 पदक देश के नाम किए। इनमें सात स्वर्ण पदक शामिल थे। उनकी उपलब्धियां भारतीय पैरा-खेलों के लिए यादगार बन गईं। पेरिस पैरालंपिक खेलों में भारत 30 पदकों से सिर्फ एक कम था। पदक तालिका में भारत 18वें पायदान पर रहा । भारत ने पहली बार 20 पायदानों से नीचे अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।
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भारतीय दल का खाता पैरालंपिक खेलों के पहले दिन ही खुल गया। पहला पदक निशानेबाज अवनी लेखरा के नाम रहा। उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच मुकाबले में स्वर्ण पदक जीता। वे पहले ही दिन इतिहास रचते हुए लगातार दो पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बन गईं। इसके साथ ही उन्होंने आगे के लिए भारतीय टीम की दिशा भी तय कर दी। अवनी लेखरा के नक्शेकदम पर चलते हुए स्प्रिंटर प्रीति पाल ने पहले ही दिन महिलाओं की 100 मीटर टी35 स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। तीन दिन बाद महिलाओं की 200 मीटर टी35 स्पर्धा में भी उन्होंने कांस्य पदक जीता।
हालांकि, भारतीय दल का मुख्य आकर्षण भाला फेंक खिलाड़ी सुमित अंतिल थे। उन्होंने न सिर्फ लगातार दूसरी बार स्वर्ण पदक अपने नाम किया, बल्कि पैरालंपिक में अपना ही बनाया रिकॉर्ड तोड़ दिया। जूडो में कपिल परमार ने पुरुषों के 60 किलो जे-वन वर्ग में कांस्य पदक अपने नाम किया। ये इस खेल में भारत का पहला पैरालंपिक पदक था। हालांकि सबसे दिलचस्प वाकया नवदीप सिंह के साथ हुआ। उन्होंने पेरिस 2024 खेलों में भारत के लिए अंतिम पदक जीता। लेकिन पुरुषों के एफ-41 स्पर्धा में ईरान के सादेघ बेत सयाह को अयोग्य घोषित कर दिया गया और रजत पदक जीतने वाले नवदीप ने स्वर्ण पदक पर कब्जा कर लिया।
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पेरिस पैरालंपिक में भारत के पदकों का आंकड़ा 30 के करीब था। निश्चित तौर पर चार साल बाद लॉस एंजेलिस खेलों में भारतीय खिलाड़ी इस संख्या को 50 के करीब पहुंचाने की कोशिश करेंगे। उनकी कोशिशों से भारत पहली बार चोटी के 10 टीमों में शामिल हो सकता हैं। अगर ऐसा होता है तो ये भारत जैसे देश के लिए अहम उपलब्धि होगी। खास कर एक ऐसे देश के लिए, जो हाल-फिलहाल तक एक-एक पदक के लिए तरस रहा था, चाहे फिर बात ओलंपिक की हो या फिर पैरालंपिक की।