Politics: लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज कहा कि हमारा संविधान केवल कानूनी दस्तावेज ही नहीं, बल्कि सामाजिक – आर्थिक बदलाव का मार्गदर्शक भी रहा है । उन्होंने कहा कि आगामी 26 नवंबर के दिन हम संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष तथा 10वां संविधान दिवस मनाने जा रहे हैं। श्री बिरला ने कहा कि इन 75 वर्षों के दौरान संविधान ने हमारे लोकतंत्र को अवलंब दिया, सुदृढ़ किया; और आज लोकतंत्र हमारी जीवनशैली का अभिन्न अंग बन चुका है । उन्होंने नौजवानों का आह्वान किया कि वे संविधान निहित अपने कर्तव्यों को निभाते हुए विकसित भारत के निर्माण में पूर्ण सामर्थ्य से जुट जाएं। श्री बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि सामूहिकता के साथ प्रत्येक व्यक्ति का योगदान ही भारत का नवनिर्माण सुनिश्चित करेगा ।
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ओम बिरला आज ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में ‘भारत का संविधान’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम में विधि, न्याय और संसदीय कार्य मंत्री, श्री अर्जुन राम मेघवाल तथा लोक सभा सदस्य, श्री नवीन जिंदल सहित कई गण्यमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। इस अवसर पर ओम बिरला ने कहा कि संविधान संग्रहालय की स्थापना ऐसा महत्वपूर्ण कार्य है, जो आने वाली पीढ़ियों को हमारे संविधान के निर्माण की प्रक्रिया, उसके विविध पहलुओं और लोकतांत्रिक चर्चा से परिचित कराएगा।
बिरला ने कहा कि संग्रहालय के माध्यम से, विश्वविद्यालय न केवल वर्तमान पीढ़ी को, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी देश के लोकतांत्रिक मूल्यों, संस्कृति और विरासत से प्रेरित करेगा। उन्होंने आगे कहा कि भारत के संविधान निर्माताओं ने देश को एक ऐसा संविधान दिया है, जो न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए मार्गदर्शन का स्रोत है। आगामी संविधान दिवस के सन्दर्भ में ओम बिरला ने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2015 में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में संविधान दिवस मनाए जाने की शुरुआत किए जाने के बाद से इस दिन भारत के प्रत्येक विद्यालय, कॉलेज और संस्थान में संविधान दिवस मनाया जा रहा है।ओम बिरला ने आगे कहा कि संविधान दिवस ने यह सुनिश्चित किया कि हम संविधान के मूल्यों, आदर्शों को याद करें, ताकि हम अपने लोकतंत्र को और अधिक सशक्त और मज़बूत कर सकें। बिरला ने कहा कि यह गर्व का विषय है कि भारत का संविधान पूरी दुनिया का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओम बिरला ने कहा कि भारत के लिए लोकतंत्र केवल एक राजनीतिक ढांचा नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवनशैली, हमारे विचारों और हमारी कार्यप्रणाली का हिस्सा है। उन्होंने आगे कहा कि देश की अनेकों विविधताओं के बावजूद, लोकतंत्र ने हमें एकजुट रखा है। यही कारण है कि आज हम गर्व महसूस करते हैं कि हमारे पास एक ऐसा संविधान है, जो न केवल सामाजिक और आर्थिक बदलावों का मार्गदर्शन करता है, बल्कि दुनिया भर में वसुधैव कुटुम्बकम की भावना का प्रसार करता है।ओम बिरला ने बताया कि संविधान केवल कानूनी ढांचा नहीं है, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का दस्तावेज है, जिसने समाज के अंतिम व्यक्ति के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव लाने का कार्य किया है। उन्होंने आगे कहा कि संविधान हमें बताता है कि समाज के हर वर्ग के लिए समान अवसर और अधिकार आवश्यक है।
ओम बिरला ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में, हमें भारतीय विचारधारा, भारतीय संस्कृति और संविधान की जड़ों को समझने का अवसर मिला है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इससे छात्रों और विशेषज्ञों को प्रेरणा मिलेगी और वे संविधान के सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारेंगे।
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युवाओं को सम्बोधित करते हुए ओम बिरला ने कहा कि वे देश के नव निर्माण में अपना योगदान दें। उन्होंने आगे कहा कि सभी देशवासियों को अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए, देश को एक नई दिशा में आगे बढ़ाने का कार्य करना होगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सभी देशवासी सामूहिक रूप से इस दिशा में सफलता प्राप्त करेंगे, और संविधान के मार्गदर्शन में अपने सपनों को साकार करेंगे। श्री बिरला ने कहा कि सभी मिलकर इस यात्रा में सहभागी बनें, और अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए एक समृद्ध और मजबूत भारत के निर्माण में योगदान करें।
