Punjab: पंजाब में नेता विपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि पंजाब में किसानों से खरीदे जा रहे धान के भंडारण के लिए गोदामों में जगह नहीं बची है और प्रदेश एक कृषि संकट की तरफ़ बढ़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह भाजपा और भगवंत मान की पंजाब की अर्थव्यवस्था को तबाह करने की सोची समझी साजिश है।
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नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए बाजवा ने कहा कि धान पंजाब की प्रमुख नकदी फसल है। पंजाब में धान का उत्पादन 180-185 लाख मीट्रिक टन होता है, जिसमें से 99 प्रतिशत चावल सेंट्रल पूल और पीडीएस सिस्टम के लिए जाता है। इस बार भी पंजाब की मंडियों में लगभग 185 लाख मीट्रिक टन धान आने की उम्मीद है। लेकिन, राज्य भर में गोदामों में जगह नहीं है, क्योंकि पिछले स्टॉक को खाली नहीं किया गया है। आमतौर पर हर साल एक अक्टूबर को मंडियों में खरीद शुरू हो जाती है, लेकिन आज 14 दिन बाद भी सिर्फ पांच लाख मीट्रिक टन चावल आया है। पांच प्रतिशत जगह भी भंडारण के लिए खाली नहीं है।
बाजवा ने कहा कि गेहूं की फसल बिना गोदाम के रखी जा सकती है, लेकिन चावल ऐसी फसल है, जिसके लिए गोदाम जैसा इंटरनल स्टोरेज चाहिए। क्योंकि चावल थोड़े ही समय में टूटने लगता है और उसका रंग उतरने लगता है। इससे किसान को भारी नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि हर महीने लगातार कम से कम 10 से 15 लाख मीट्रिक टन फसल गोदाम से उठाई जाती तो आज जगह होती। लेकिन, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने समय रहते इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा केंद्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रह्लाद जोशी से मुलाकात के बाद दिए गए बयान का हवाला देते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्होंने आश्वासन दिया था कि 31 मार्च तक पुराने गोदाम खाली कर दिए जाएंगे। लेकिन, अगले चार महीनों के भीतर पूरी जगह खाली करना असंभव है। उन्होंने मान और केंद्र सरकार दोनों को राज्य में गोदामों की जगह खाली करने के लिए समय पर कदम नहीं उठाने के लिए दोषी ठहराया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ऐसा किसानों को मजबूर करने और अडानी को सस्ते दामों पर उपज खरीदने में मदद करने के इरादे से किया जा रहा है। क्योंकि अडानी के पास पंजाब के मोगा, रायकोट और कथुनांगल में विशाल भंडारण क्षमता है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने पीआर-126 और इसी तरह की धान की किस्मों का मुद्दा भी उठाया, जिन्हें पंजाब के किसानों ने मुख्यमंत्री मान के कहने पर बोया था। उन्होंने कहा कि अब यह बात सामने आई है कि इस किस्म से मिलिंग के बाद पारंपरिक किस्मों के मुकाबले प्रति क्विंटल करीब पांच किलो कम चावल मिलता है। इससे चावल मिल मालिकों को 6000 करोड़ रुपये का भारी नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि मिल मालिक तब तक धान की मिलिंग करने से इनकार कर रहे हैं, जब तक उन्हें मुआवजा नहीं दिया जाता, क्योंकि उनका नुकसान बहुत बड़ा होगा। उन्होंने पूछा कि मिल मालिकों को मुआवजा कौन देगा। उन्होंने आढ़तियों के कमीशन के मुद्दे का भी जिक्र किया।
बाजवा ने कहा कि यह कृषि संकट नियंत्रण से बाहर हो सकता है और इससे गंभीर कानून-व्यवस्था का संकट पैदा जा सकता है। पंजाब के मुख्यमंत्री से पार्टी को कोई उम्मीद नहीं है, क्योंकि वे अक्षम और अयोग्य हैं। उन्होंने इस संकट को हल करने के लिए तत्काल केंद्रीय हस्तक्षेप की मांग की।
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