RBI Report: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सोमवार, 1 दिसंबर को एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि सितंबर तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा (CAD) घटकर 12.3 अरब डॉलर रह गया, जो सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 1.3 प्रतिशत है। यह कमी मुख्यतः तीन कारकों के कारण हुई:
1. व्यापार घाटे में सुधार – आयात में गिरावट और निर्यात में स्थिर वृद्धि से व्यापार संतुलन बेहतर हुआ।
2. सेवा निर्यात में तेज़ी – आईटी, बीपीएस और पर्यटन सेवाओं से मिलने वाली आय में उल्लेखनीय उछाल देखा गया।
3. प्रवासी भारतीयों के धन‑प्रेषण में वृद्धि – विदेश में काम करने वाले भारतीयों द्वारा भेजे गए रेमिटेंस में पिछले तिमाही की तुलना में लगभग 5 % की वृद्धि दर्ज की गई।
इतर तुलना के तौर पर, पिछले साल की समान तिमाही में चालू खाता घाटा 20.8 अरब डॉलर (GDP का 2.2 %) था, जबकि जून तिमाही में यह सिर्फ 2.4 अरब डॉलर (GDP का 0.2 %) तक सीमित था। वित्त वर्ष 2025‑26 की पहली तिमाही में भी घाटा घटकर 15 अरब डॉलर (GDP का 0.8 %) रह गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 25.3 अरब डॉलर (GDP का 1.3 %) था। इन आँकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि भारत की बाहरी आर्थिक स्थिति धीरे‑धीरे सुधर रही है, हालांकि अभी भी निगरानी की आवश्यकता है।
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जुलाई-सितंबर तिमाही में माल व्यापार घाटा सालाना आधार पर कम होकर 87.4 अरब डॉलर रह गया, जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में ये 88.5 अरब डॉलर था। भुगतान संतुलन के आंकड़ों के अनुसार सेवा क्षेत्र से शुद्ध प्राप्तियां पिछले साल के 44.5 अरब डॉलर से बढ़कर 50.9 अरब डॉलर हो गईं। विशेष रूप से कंप्यूटर सेवाओं के निर्यात में वृद्धि हुई है। आरबीआई ने बताया कि द्वितीयक आय खाते के तहत व्यक्तिगत हस्तांतरण सालाना आधार पर 34.4 अरब डॉलर से बढ़कर इस तिमाही में 38.2 अरब डॉलर हो गईं। इन प्राप्तियों में मुख्य रूप से विदेश में काम करने वाले भारतीयों द्वारा धन प्रेषण शामिल है। RBI Report:
