World Kidney Day: 82 साल के दयाराम गुणेशा ने अपने 52 साल के गंभीर रूप से बीमार बेटे को जीवन का दूसरा मौका दिया।लुंबा राम जनवरी 2024 से अंतिम चरण की किडनी की बीमारी (ईएसआरडी) से जूझ रहे थे, और जीवित रहने के लिए डायलिसिस पर निर्भर थे।चार भाई और दो बहनें होने के बावजूद, कोई भी उन्हें बचाने के लिए किडनी दान करने के लिए तैयार या सक्षम नहीं था।
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तभी राजस्थान के थोब गांव के उनके पिता ने अपने बीमार बेटे को अपनी किडनी दान करने के लिए आगे कदम बढ़ाया।प्रत्यारोपण की प्रकिया अहमदाबाद में डॉक्टरों की देखरेख में हुई। डॉक्टरों को दयाराम की उम्र के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा।80 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्तियों द्वारा किडनी दान करना बेहद दुर्लभ है और इससे दाता और प्राप्तकर्ता दोनों के लिए जोखिम बढ़ जाता है।
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नेफ्रोलॉजिस्ट की एक टीम ने जीवन रक्षक प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए चुनौती स्वीकार की।सभी बाधाओं के बावजूद, सर्जरी सफलतापूर्वक पूरी हुई और पिता और पुत्र दोनों अब ठीक हो रहे हैं।लुम्बा राम ने कृतज्ञता से अभिभूत होकर अपने पिता के निस्वार्थ कार्य के लिए उनका हार्दिक आभार व्यक्त किया।लुम्बा राम ने कहा, “मेरे पिता ने मुझे दो बार जीवन दिया – एक बार जब मैं पैदा हुआ था, और अब, मुझे इस बीमारी से बचाकर।”दयाराम गर्व से मुस्कुराए, क्योंकि उन्हें पता था कि उनके बलिदान ने उनके बेटे को एक नई ज़िंदगी दी है।