UP: उत्तर प्रदेश के लखनऊ में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वामपंथी इतिहासकारों पर दलित नायकों विशेष रूप से पासी समाज के इतिहास की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए रविवार को कहा कि दलित, आदिवासी, महिलाओं और पिछड़े समुदायों के असंख्य वीरों के बलिदान को इतिहास के पन्नों में जो स्थान मिलना चाहिए, वह उचित स्थान उन्हें नहीं मिला है।UP:
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लखनऊ में पासी चौराहे पर वीरांगना ऊदा देवी पासी की प्रतिमा के अनावरण और स्वाभिमान समारोह के आयोजन स्थल पर रक्षा मंत्री जनाथ सिंह ने कहा, ”दलित, आदिवासी, महिलाओं और पिछड़े समुदायों के असंख्य वीरों के बलिदान को इतिहास के पन्नों में जो स्थान मिलना चाहिए, वह उचित स्थान उन्हें नहीं मिला है। इन नायकों को न सिर्फ पढ़ाया जाना चाहिए था, बल्कि ऐसे नायकों को पूजा जाना चाहिए था।’रक्षा मंत्री ने दावा किया कि ”वामपंथी इतिहासकारों ने अपनी सुविधा से इतिहास लिखा, जिसमें दलित और पिछड़े समाज के नेताओं की वीरता तथा बलिदान को उन्होंने जानबूझकर दरकिनार किया।’‘UP:
उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि ”पहले की सरकारों में पासी और दलित समाज के नायकों को जो स्थान मिलना चाहिए, वह उन्हें नहीं मिला।”उन्होंने महाराजा सतन पासी, महाराजा लाखन पासी, महाराजा सुहेलदेव, रानी अवंती बाई और स्वतंत्रता सेनानी ऊदा देवी के बलिदान को याद करते हुए कहा कि उनके नाम “स्वर्ण अक्षरों में लिखे जाने चाहिए थे।उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद देते हुए कहा, ”मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अभिनंदन करता हूं कि जो काम वो लोग (पूर्ववर्ती सरकारें) नहीं कर पाए, वह कार्य इस समय योगी जी कर रहे हैं।”UP:
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राजनाथ सिंह ने बिना नाम लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि ”भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को इस तरह प्रस्तुत किया गया मानो आजादी की लड़ाई एक ही पार्टी (कांग्रेस) और कुछ विशेष वर्गों ने ही लड़ी और यही धारणा बनाने की कोशिश की गई।’रक्षा मंत्री ने कहा कि ”इससे लोगों के मन में यह भ्रम पैदा हो गया कि स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व कुछ गिने चुने परिवारों ने किया, परिणामस्वरूप उन हाशिए पर रहे समुदायों के संघर्ष और बलिदान को नजरअंदाज कर दिया गया, जिन्होंने भारत को आजादी दिलाने में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उनके योगदान को नकार दिया गया।”भारतीय जनता पार्टी के नेता ने कहा कि ”पासी समाज जैसे समुदाय जिन्होंने अपने पराक्रम, अपने त्याग और संघर्ष से आजादी के आंदोलन को मजबूती दी थी और उसको इतिहास में जो उचित स्थान मिलना चाहिए, वह उन्हें नहीं मिला, जबकि वे भी आजादी की महान यात्रा के समान रूप से भागीदार और उसके नायक रहे।’‘UP:
