चुनाव आयोग जहां पश्चिम बंगाल में मंगलवार से शुरू हो रहे मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की तैयारी में जुटा है, वहीं राजनीतिक तापमान भी तेज़ी से बढ़ रहा है। यह नियमित प्रशासनिक प्रक्रिया एक राजनीतिक युद्धक्षेत्र में तब्दील हो रही है, जहाँ 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले BJP के प्रभाव और चुनाव आयोग के “पारदर्शिता” के प्रयासों के साथ-साथ तृणमूल कांग्रेस के जमीनी स्तर के प्रतिरोध का मुकाबला है। पश्चिम बंगाल में SIR के खिलाफ आज राज्य की CM ममता बनर्जी और उनके भतीजे TMC सांसद अभिषेक बनर्जी कोलकाता में विरोध प्रदर्शन करने वाले हैं। SIR
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पश्चिम बंगाल में BJP ने जहां मतदाता सूचियों में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम के रूप में SIR का स्वागत किया है, वहीं सत्तारूढ़ TMC ने इसके समय और मंशा पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग (EC) राज्य चुनावों से पहले मतदाता सूची में हेरफेर करने के लिए भगवा पार्टी के दबाव में काम कर रहा है। दोनों दल SIR को 2026 के विधानसभा चुनावों की पूर्व संध्या मान रहे हैं, वहीं राजनीतिक हलकों में यह मुकाबला “दो ताकतों, प्रशासनिक और संगठनात्मक, के बीच की लड़ाई” में बदल गया है। चुनाव आयोग के “सक्रिय रुख” और केंद्रीय तैनाती की संभावना से उत्साहित भाजपा पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची के “शुद्धिकरण” पर उम्मीदें लगाए बैठी है। SIR
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस ने अपने मज़बूत बूथ नेटवर्क को सक्रिय कर दिया है और यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ संकल्पित है कि किसी भी “वास्तविक मतदाता” का नाम मतदाता सूची से न कटने पाए। 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा घर-घर जाकर सत्यापन की यह प्रक्रिया पहले ही एक विवाद का विषय बन चुकी है। SIR
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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मंगलवार को कोलकाता में एक रैली का नेतृत्व करेंगी, जिसमें उनकी पार्टी अल्पसंख्यकों और हाशिए पर पड़े समूहों को मताधिकार से वंचित करने के उद्देश्य से किए जा रहे “राजनीति से प्रेरित संशोधन” का विरोध करेंगी। उनके भतीजे और तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने बीएलओ की “मैन-मार्किंग” का आह्वान किया है और इस प्रक्रिया के हर चरण की निगरानी के लिए सभी 84,000 बूथों पर बूथ स्तरीय एजेंटों (बीएलए) की नियुक्ति का निर्देश दिया है। अभिषेक बनर्जी ने SIR के खिलाफ दिल्ली तक लड़ाई लड़ने की बात कही है। SIR
			