Indian Parliamentary Delegation:एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल जिसमें राज्य सभा की संसद सदस्य, श्रीमती दर्शना सिंह और श्रीमती धर्मशीला गुप्ता सम्मिलित हैं, 26-27 जून, 2024 को दोहा की यात्रा पर है, जहाँ वे महिला संसद सदस्यों के वैश्विक सम्मेलन में भाग लेंगी, जिसका विषय ” आतंकवाद का मुकाबला करने और हिंसक उग्रवाद के निवारण संबंधी कानूनों, नीतियों और रणनीतियों के विकास, कार्यान्वयन और निगरानी में महिला संसद सदस्यों की भूमिका” है। यह पहली बार है कि भारतीय संसद आतंकवाद-रोधी विषय पर आयोजित वैश्विक महिला संसद सदस्यों के सम्मेलन में भाग ले रही है।
आतंकवाद-रोधी और हिंसक उग्रवाद को रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालते हुए, श्रीमती दर्शना सिंह ने कहा कि भारत ने आतंकवाद का मुकाबला करने और हिंसक उग्रवाद को रोकने के लिए एक मजबूत विधायी ढांचे के साथ-साथ एक सुदृढ़ सुरक्षा प्रतिष्ठान की स्थापना की है और नीति-निर्माताओं के साथ-साथ कानून निर्माताओं के रूप में महिलाएं इन दोनों खतरों का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। उन्होंने कहा कि अपेक्षित विधायी और प्रशासनिक उपायों के अतिरिक्त, सरकार की नीति हमारे संविधान के ढांचे के भीतर असंतुष्ट समूहों के साथ वार्ता शुरू करने, लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करने और सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाली महिला कैडर सहित अतिवादी कैडरों को समाज की मुख्यधारा में पुनर्वासित करने की रही है।
आतंकवाद का मुकाबला करने और हिंसक उग्रवाद के निवारण के लैंगिक पहलू पर बोलते हुए, उन्होंने कहा कि पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में महिलाओं की भर्ती बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है जिन्हें अशांत क्षेत्रों में तैनात किया जाता है और इस संबंध में, केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासनों को महिला पुलिस का प्रतिनिधित्व बढ़ाकर कुल संख्या बल का 33% करने की सलाह भी दी है।
श्रीमती दर्शना ने यह भी बताया कि भारत स्वयं को संयुक्त राष्ट्र की वर्दीधारी लैंगिक समानता रणनीति के साथ सम्बद्ध करता है तथा विश्व के विभिन्न संघर्ष वाले क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र की महिला शांति सैनिकों की तैनाती में ज्यादा से ज्यादा योगदान दे रहा है और 2007 में, भारत लाइबेरिया में पूर्ण रूप से महिलाओं वाली वर्दीधारी पुलिस इकाई तैनात करने वाला पहला देश था।
आतंकवाद का मुकाबला करने और हिंसक उग्रवाद के निवारण में महिला सांसदों की भूमिका से अवगत कराते हुए, श्रीमती दर्शना ने कहा कि महिला सांसद देश के विभिन्न क्षेत्रों में आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद के विभिन्न रूपों पर संसद और इसकी समितियों में वाद-विवाद और चर्चाओं के दौरान महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा रही हैं और उन्होंने ऐसे कानूनों की प्रभावशीलता पर अपने दृष्टिकोण साझा किए हैं और उन्होंने विद्रोह के प्रतिकार की कार्यनीतियां जो लैंगिक रूप से संवेदनशील हैं, का समर्थन किया है। भारत की अध्यक्षता में हाल ही में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान सभी प्रकार के आतंकवाद सहित वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास और महिलाओं की समान एवं प्रभावी भागीदारी को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया गया।
सम्मेलन के दूसरे सत्र के दौरान, भारत में आतंकवाद का मुकाबला करने और हिंसक उग्रवाद के निवारण और नियंत्रण में संसद सदस्यों की भूमिका पर बोलते हुए, श्रीमती धर्मशीला गुप्ता ने कहा कि भारत ने कई दशकों से आतंकवाद और उग्रवाद के विभिन्न रूपों का सामना किया है और यहाँ तक कि भारतीय संसद भी आतंकवादी हमलों से अछूती नहीं रही है। आतंकवाद का मुकाबला करने और हिंसक उग्रवाद का निवारण और नियंत्रण के संबंध में भारत का विधायी ढांचा बदलती आवश्यकताओं और स्थितियों के अनुसार सक्रिय रूप से विकसित हुआ है। अतीत में आतंकवाद विरोधी कानूनों जैसे आतंकवादी और विध्वंसकारी क्रिया-कलाप (निवारण) अधिनियम तथा आतंकवाद निरोधक अधिनियम और अन्य कानून जैसे विधि-विरूद्ध क्रिया-कलाप निवारण अधिनियम (यूएपीए), यान-हरण रोधी अधिनियम, धन-शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) आदि के अधिनियमन से भारत ने खुद को एक मजबूत आतंकवाद विरोधी विधायी ढांचे से लैस किया है। महिला संसद सदस्यों सहित संसद सदस्यों ने संसद की दोनों सभाओं में इन कानूनों पर बहस और चर्चाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। श्रीमती धर्मशिला गुप्ता ने यह भी बताया कि भारत आतंकवादी वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) सहित विभिन्न वैश्विक मंचों पर प्रभावी रूप से योगदान दे रहा है।
