Dharamshala :अमेरिका हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के प्रमुख माइकल मैककॉल की अगुवाई में अमेरिकी कांग्रेस का डेलीगेशन ‘रिज़ॉल्व तिब्बत एक्ट’ पर चर्चा के लिए बुधवार को तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा से मिला।उससे पहले हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में अमेरिकी डेलीगेशन का ग्रैंड वेलकम हुआ।
इस डेलीगेशन में अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की पूर्व प्रमुख नैंसी पेलोसी, कांग्रेस मेंबर मारियानेट मिलर, ग्रेगरी मीक्स, निकोल मल्लियोटाकिस, जिम मैकगवर्न और अमी बेरा शामिल थे।
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नैंसी पेलोसी ने कहा, “चीन कुछ करना चाहता है लेकिन हम उसे अपने साथ ऐसा करने नहीं दे सकते हैं। मैं दलाई लामा के प्रभाव में चीनी लोगों के प्रति दयालु रहूंगी, मुझे नहीं पता कि वे ऐसा कर रहे हैं, लेकिन हम जानते हैं कि चीनी सरकार ऐसा करती है और हम उन्हें अपनी ओर से संदेश भेजेंगे। कांग्रेस और सीनेट से पास बिल पर जल्द ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन दस्तखत करेंगे। दलाई लामा ज्ञान, करुणा, पवित्रता और प्रेम के संदेश के साथ लंबे समय तक जीवित रहेंगे और उनकी विरासत हमेशा जिंदा रहेगी लेकिन आप चीन के राष्ट्रपति हैं, आप चले जाएंगे और कोई किसी भी चीज के लिए आपको क्रेडिट नहीं देगा।”
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कार्यक्रम में तिब्बती युवाओं और बच्चों ने अमेरिकी डेलीगेशन के वेलकम में कल्चरल डांस किया और अमेरिकी कांग्रेस के मेंबरों को तिब्बती मोमेंटो दिया गया।अमेरिकी सरकार इसी महीने एक बिल लेकर आई है, जिसके जरिये तिब्बत के विवाद को शांतिपूर्वक हल करने और तिब्बत के शासन और स्टेटस को लेकर जुड़े हुए पक्षों के बीच बातचीत को बढ़ावा देना है।इसके अलावा ‘रिज़ॉल्व तिब्बत एक्ट’ के जरिये दलाई लामा और चीन को बातचीत के टेबल पर साथ लाना है।रिज़ॉल्व तिब्बत एक्ट, तिब्बत विवाद में अमेरिकी समर्थन बढ़ाने और तिब्बत चीन के बीच शांतिपूर्ण समाधान के लिए पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना और दलाई लामा को बातचीत के टेबल पर लाने के लिए बिल है।
चीन ने इस साल अप्रैल में कहा था कि वे तिब्बत पर केवल दलाई लामा या उनके लोगों से बात करेगा। उसके अलावा वे तिब्बत की निर्वासित सरकार के लोगों से कोई बात नहीं करेगा।चीन के खिलाफ बगावत फेल होने के बाद 1959 में 14वें दलाई लामा को तिब्बत से भागकर भारत में शरण लेनी पड़ी थी। वे उसी समय से भारत में रह रहे हैं।