RSS chief Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को इस बात पर जोर दिया कि लोगों को मानव जाति के कल्याण के लिए लगातार काम करना चाहिए क्योंकि विकास और मानवीय महत्वाकांक्षा की खोज का कोई अंत नहीं है।भागवत ने कहा, “आगे बढ़ने का कोई अंत होता है। इतना आगे, इतना आगे, इसका कोई छोर नहीं, जहां पूर्णता ही डोर हो सीमाओं की डोर नहीं। विकास एक ऐसी जीच है। विकास का कोई अंत नहीं है।
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कहा- प्रगति का कोई अंत नहीं- जब हम स्वयं द्वारा निर्धारित विकास के मील के पत्थर तक पहुंचते हैं, तो हम देखते हैं कि मील के पत्थर तक पहुंचने के बाद भी बहुत कुछ बाकी है। इंसान जीवित हैं, लेकिन मानवता नहीं है।उन्होंने कहा, “जब इंसान महामानव बनने की महत्वाकांक्षा रखते हैं, वे यहीं नहीं रुकते, तब उन्हें भगवान बनने का मन होता है। लेकिन जब वे भगवान बन जाते हैं, तो वे सर्वशक्तिमान भगवान बनना चाहते हैं, लेकिन सर्वशक्तिमान भगवान हर जगह बिना किसी आकार के हैं, कोई नहीं जानता कि उनसे बड़ा कोई है या नहीं। इसी तरह विकास का भी कोई अंत नहीं है।”
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कुछ लोग हैं जो खुद को सुपरमैन समझते है…आगे बढ़ने का कोई अंत होता है। इतना आगे, इतना आगे, इसका कोई छोर नहीं, जहां पूर्णता ही डोर हो सीमाओं की डोर नहीं। विकास एक ऐसी जीच है। विकास का कोई अंत नहीं है। जब हम स्वयं द्वारा निर्धारित विकास के मील के पत्थर तक पहुंचते हैं, तो हम देखते हैं कि मील के पत्थर तक पहुंचने के बाद भी बहुत कुछ बाकी है। इंसान जीवित हैं, लेकिन मानवता नहीं है। कुछ लोग हैं जो खुद को सुपरमैन समझते हैं। जब इंसान महामानव बनने की महत्वाकांक्षा रखते हैं, वे यहीं नहीं रुकते, तब उन्हें भगवान बनने का मन होता है। लेकिन जब वे भगवान बन जाते हैं, तो वे सर्वशक्तिमान भगवान बनना चाहते हैं, लेकिन सर्वशक्तिमान भगवान हर जगह बिना किसी आकार के हैं, कोई नहीं जानता कि उनसे बड़ा कोई है या नहीं। इसी तरह विकास का भी कोई अंत नहीं है।”