कारगिल विजय दिवस: इतिहास गवाह है कि भारत की धरती को वीर, शौर्य और साहस की भूमि कहा जाता है। इस धरती को बचाने के लिए इसके वीर सपूत कभी भी पीछे नहीं हटे। चाहे वो मुगलों के चंगुल से बाहर निकलने की बात हो या अंग्रेजों से देश को बचाने की, भारतीयों ने हमेशा अपनी वीरता का प्रमाण दिया है। भारतवासियों ने देश पर आंच आने पर दुश्मन देशों को इस धरती की मिट्टी का स्वाद भी चखाया है। ऐसी ही शौर्य और वीरता से भरी हुई है कारगिल युद्ध की कहानी । आज देश कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ मना रहा है। आइए जानते हैं कारगिल युद्ध से जुड़ी कुछ अनोखी बातें।
Read Also : पेरिस ओलंपिक में मुक्केबाजी में निकहत और लवलीना पर टिकी रहेंगी भारत की निगाहें
क्या है कारगिल की पूरी कहानी ? –
कारगिल का युद्ध कोई छोटा मोटा युद्ध नहीं था, इसमें कई घरों का उजियारा, कई माताओं की संतानें, कई बहनों का प्यार, कई सुहागिनों के सिंदूर का खून शामिल था। ये खून धरती मां के प्यार का ऋण चुकाने के लिए बहाया गया था। कारगिल की जंग वैसे तो मई में शुरू हुई थी, लेकिन इसकी तैयारियां फरवरी से दुश्मनों द्वारा की गई। दुश्मनों की फौज से चार से सात बटालियन भारतीय सीमा को लांघकर लद्दाख की पहाड़ियों पर आ पहुँची। जब बर्फ पिघलने लगी घुसपैठियों का काम आसान हो गया। उन पहाड़ियों की ऊंचाई कम नहीं थी, 6 हजार से लेकर 18 हजार फीट तक घुसपैठियों द्वारा कोशिश की गई। इस ऊंचाई में इंसान का खून जम जाए, सांस थम जाए। सांप जैसा रास्ता और माइनस 5 से माइनस 11 तक का तापमान। ऐसी जगह जंग तो दूर कुछ पल खड़ा होना भी मुश्किल होता है।
घुसपैठियों ने सबसे उपर अपना डेरा जमा लिया था। जब भारत माता की बात आई तो भारतीय जवान सारी परिस्थिती भूलकर दुश्मनों का जवाब देने के लिए आगे बढ़ रहे थे। भारतीय जवान हथियारों के साथ लेटकर एक-एक इंच आगे बढ़ रहे थें। दुश्मनों की तरफ से बारूद के गोले फैंके जा रहे थे। दोनों देशों के बीच जो बम से युद्ध चल रहा था वह दिल दहला देने वाला था। भारतीय सेना ने टाइगर हिल से चारों तरफ से दुश्मनों पर हमला करना शुरू कर दिया। लेकिन जब दुश्मनों ने टाइगर हिल की तरफ बढ़ना शुरू किया, तब भारतीय वायु सेना द्वारा टाइगर हिल पर भयानक बमबारी और मिसाइलें दागी गई।
3 जुलाई की रात को भयानक मौसम था, इसी बीच 18 ग्रेनेडियर्स ने चढ़ाई शुरू की। पाकिस्तान की सेना भी धाक लगाए बैठी थी, उन्होनें इस पहाड़ी पर तीनों तरफ से गोलियां बरसानी शुरू की। भारतीय सेना ने चतुराई से काम लिया। उनकी सप्लाई लाइन को तोड़कर टाइगर हिल पर भारतीय झंडा फहराया। युद्ध यहां खत्म नहीं हुआ था। भयानक जंग अभी भी जारी थी। प्वाइंट 4875 की जंग को भयानक जंग कहा जा रहा है। .यहां पर कई खतरनाक चोटियां है। यहां से किसी भी तरह का हमला किसी भी दिशा में किया जा रहा था। लेकिन भारत के वीर सपूतों ने अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए यहां भी भारत का झंडा फहराकर सभी भारतवासियों का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया।
Read Also: कारगिल विजय दिवस पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने देश के वीर शहीदों को दी श्रद्धांजलि
कई वीर हुए शहीद-
इस जीत को पाने के लिए भारत के बहुत से जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी। जिसमें कैप्टन सचिन निंबालकर के नेतृत्व में सेना ने बहादुरी से काम लिया और पाकिस्तान के कई सैनिकों को मार गिराया। जब भी कारगिल का नाम लिया जाता है तो कैप्टन विक्रम बत्रा का नाम जुबान पर जरूर आता है। उन्होंने पांच घुसपैठियों के साथ आमने- सामने की लड़ाई की। वें लड़ते-लड़ते खुद भी शहीद हो गए। लेकिन , उनके नेतृत्व में भारतीय सेना को बड़ी जीत मिली। इसके अलावा भारतीय सेना के 527 जवानों ने अपनी जान की कुर्बानी दी।
महिलाओं ने भी कायम की मिसाल-
कारगिल के युद्ध में जहां कई भारतीय जवानों को नमन किया जाता है। वहीं महिलाएं भी दुश्मन की सेना से नहीं ड़री। ऐसे ही एक कहानी सामने आई है कि यशिका हटवाल नाम की एक महिला ने मां से पहले देश का फर्ज निभाया। यशिका हटवाल कारगिल के समय में मां बनने वाली थी, लेकिन उन्होंने पेट में बच्चे को लेकर ही दुश्मनों के वार का जवाब दिया।
Top Hindi News, Latest News Updates, Delhi Updates,Haryana News, click on Delhi Facebook, Delhi twitter and Also Haryana Facebook, Haryana Twitter
