Generational Trauma : भागदौड़ भरी जिन्दगी में तनाव जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। भारत समेत दुनिया में तनाव तेजी से बढ़ता जा रहा है। जरा से लापरवाही बरतने पर कभी कभी तनाव से पीड़ित व्यक्ति आत्महत्या तक कर लेते है।गुस्से, तनाव या दुख के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं हो पाता इसकी वजह आपको अपने पूर्वजों से मिला जनरेशन ट्रॉमा हो सकता है।आपको बता दें कि जनरेशनल ट्रॉमा एक ऐसा मानसिक और भावनात्मक अनुभव है, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचता रहता है।इस आर्टिकल के द्वारा हम आपको बताएँगे कि जनरेशन ट्रॉमा मेंटल हेल्थ को कैसे नुकसान पहुंचाता है और इससे छुटकारा पाने के लिए क्या करना चाहिए.
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जेनेटिक हो सकती है ये बीमारी- हाल में हेल्थ एक्सपर्ट ने चौकाने वाला खुलासा किया कि जनरेशनल ट्रॉमा जिसे पीढ़ियों से चला आ रहा मानसिक संघर्ष भी कहा जा सकता है।यह एक ऐसा मानसिक और भावनात्मक अनुभव है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचता है।इसका प्रभाव केवल उस व्यक्ति पर ही नहीं पड़ता बल्कि इसका असर उनके बच्चों पर भी पड़ता है।
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स्ट्रेस को करे दूर- स्ट्रेस व और खुशी हमारी जिंदगी का हिस्सा होते हैं, लेकिन जब लंबे समय तक स्ट्रेस रहे, तो यह मेंटल और फिजिकल हेल्थ को बुरी तरह प्रभावित कर देता है।जिसके कारण मनुष्य को अनेक प्रकार की गंभीर बीमारियां घेर लेती है। ऐसे में जरूरी है कि लोग स्ट्रेस को कंट्रोल करना सीखें,ताकि जिंदगी खुशहाल हो सके।तनाव हमारी फिजिकल और मेंटल हेल्थ के साथ इमोशनल हेल्थ पर भी बुरा तरह प्रभावित करता है।
यह भी जानें – हेल्थ एक्सपर्ट ने बताया कि आमतौर पर उन परिस्थितियों में जनरेशनल ट्रॉमा विकसित हो सकता है, जहां एक परिवार ने लंबे समय तक तनाव, हिंसा, बदसलूकी, या सामाजिक अन्याय को सहा हो।जनरेशनल ट्रॉमा व्यक्ति के अंदर ये ट्रॉमा घरेलू लड़ाई-झगड़े या गरीबी के कारण भी पैदा हो सकता है, जो एक मानसिक बोझ बनकर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक तेजी से बढ़ता ही रहता है
जनरेशनल ट्रॉमा से ऐसे पाएं निजात
1. अगर आप लंबे समय से स्ट्रेस से पीड़ित है तब ट्रॉमा को पहचानें और इसे स्वीकार करें, क्योंकि जो आपके साथ बीत चुका है उसे हम नहीं बदल सकते.इसलिए पुरानी बातों को भूलकर नए जीवन की शुरुआत करे।
2. मनोचिकित्सक की सहायते ले सकते है।
3. मानसिक शांति के लिए रोजाना योगा और मेडिटेशन करें इससे आपको जल्द राहत मिलेगी ।
