नोएडा– भारतीय क्रिकेट इतिहास में अगर बाएं हाथ के तेज गेंदबाजों की बात होती है तो सबसे पहला नाम आता है जहीर खान का। जो जगह विश्व क्रिकेट में वसीम अकरम को हासिल है वहीं कद भारत में जहीर खान का है। सौरव गांगुली से लेकर धोनी की कप्तानी तक हर मौके पर जहीर ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है और भारत को जीत की बुलंदियों तक पहुंचाया है। इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है 2011 वनडे विश्व कप। उन्हीं जहीर खान का आज 42वां जन्मदिन है।
क्यों इंजीनयर नहीं बन पाए जहीर ?
जहीर का जन्म 7 अक्टूबर 1978 को महाराष्ट्र के श्रीरामपुर जिले के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उस दौर के सामान्य परिवार के लोगों की तरह जहीर का परिवार भी उन्हें इंजीनियर बनता देखना चाहता था जहीर इस दिशा में आगे भी बढ़ गए थे लेकिन क्रिकेट के प्रति जहीर के लगाव और उनकी सफलता ने पिता का दिल भी बदल दिया। जहीर के पिता ने जब कहा कि इस देश को इंजीनियर तो बहुत मिल जाएंगे लेकिन तेज गेंदबाज नहीं मिल पाएंगे। तुम तेज गेंदबाज बनो।
इसके बाद जहीर ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़कर क्रिकेट की ओर रुख किया। पिता 17 साल की उम्र में उन्हें मुंबई ले गए जहां जहीर का प्रोफेशनल क्रिकेट करियर शुरू हुआ। उसी दौरन मुंबई जिमखाना क्लब के खिलाफ एक मैच में 7 विकेट लेकर जहीर सुर्खियों में आए और उसके बाद उन्होंने फिर कभी मुड़कर नहीं देखा।
कैसे बने रिवर्स स्विंग के बादशाह ?
जहीर खान ने भारत के लिए 92 टेस्ट, 200 वन-डे और 17 टी-20 इंटरनेशनल मैच खेले। विकेट के मामले में जहीर का प्रदर्शन बेहतरीन रहा। उन्होंने टेस्ट में 311 और वन-डे में 282 विकेट चटकाए। वो कपिल देव के बाद भारत के लिए सर्वाधिक विकेट लेने वाले तेज गेंदबाज रहे। उनसे ज्याद विकेट और कोई भारतीय तेज गेंदबाज नहीं ले सका। इसके अलावा जहीर ने 2011 वर्ल्ड कप में भारत की जीत की नींव लिखी और सर्वाधिक 18 विकेट लेने वाले गेंदबाज बने।
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वे टेस्ट में दूसरे और वनडे में चौथे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज हैं। जहीर ने टीम इंडिया के लिए डेब्यू अक्टूबर 2000 में कीनिया के खिलाफ नैरोबी में किया था। वहीं उन्हें नवंबर 2000 में बांग्लादेश के डेब्यू टेस्ट में अपने टेस्ट करियर का आगाज करने का मौका मिल गया। साल 2014 में न्यूजीलैंड के खिलाफ वेलिंगटन में उन्होंने खेला था आखिरी टेस्ट।