आईएमईईसी का वैश्विक संपर्क पर गहरा प्रभाव पड़ेगा- एस.जयशंकर

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S Jaishankar: संपर्क को कूटनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताते हुए विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि एक बार पूरा हो जाने पर आईएमईईसी, यूरोप से लेकर प्रशांत महासागर तक महत्वपूर्ण भूमि और समुद्री संपर्क प्रदान करेगा।भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईईसी) में दो अलग-अलग गलियारे होंगे, पूर्वी गलियारा भारत को खाड़ी देशों से जोड़ेगा और उत्तरी गलियारा खाड़ी देशों को यूरोप से जोड़ेगा।

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जयशंकर ने यहां पहले ‘रायसीना मेडिटेरेनियन 2025’ में एक परिचर्चा में जितने अधिक विकल्पों और विविधताओं के साथ संभव हो सके भूमि, समुद्री और हवाई संपर्क की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा, “आज के दौर में संपर्क (कनेक्टिविटी) की पहलें कूटनीति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई हैं।विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि भले ही आईएमईईसी अभी पूरी तरह अस्तित्व में नहीं आया है, फिर भी यूरोप को भारत के पश्चिमी तट तक “काफी सुगम और कुशल पहुंच” प्राप्त है, यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा समुद्री व्यापार पर जारी खतरे के बावजूद।

उन्होंने श्रोताओं को स्वेज नहर को बनने में लगे वक्त की याद दिलाते हुए कहा, “लेकिन एक बार जब यह बन गयी, तो आप देख लें कि इसका दुनिया पर कितना गहरा प्रभाव पड़ा है। इसलिए वास्तव में, अगर हम इसे (आईएमईईसी) पूरा कर पाते हैं, तो आपको यूरोप से प्रशांत महासागर तक एक मार्ग मिल जाएगा, जो काफी हद तक भूमि आधारित होगा, लेकिन आंशिक रूप से समुद्र आधारित होगा। उन्होंने कहा किऔर कुछ मायनों में, जब भी आर्कटिक खुलेगा, यह आर्कटिक पर निर्भरता का जवाब होगा। संपर्क का खेल दीर्घकालिक है।

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नई दिल्ली में 2023 में आयोजित जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के अवसर पर भारत, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इटली, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका ने आईएमईईसी को विकसित करने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताते हुए एक समझौता ज्ञापन की घोषणा की। विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों गलियारों का उद्देश्य संपर्क को बढ़ाना, दक्षता में वृद्धि करना, लागत कम करना, क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करना, व्यापार सुगमता में वृद्धि करना और रोजगार सृजन करना है, जिसके परिणामस्वरूप एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व का परिवर्तनकारी एकीकरण होगा।

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