Karnataka: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शुक्रवार को कहा कि राज्य का सामाजिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण जिसे आमतौर पर ‘जातिगत गणना’ के नाम से जाना जाता है 22 सितंबर से सात अक्टूबर के बीच कराया जाएगा और इस पर अनुमानित 420 करोड़ रुपये की लागत आएगी।सिद्धरमैया ने कहा कि सर्वेक्षण ‘‘वैज्ञानिक’’ तरीके से किया जाएगा और इसके लिए 60 प्रश्नों वाली प्रश्नावली तैयार की गई है।Karnataka
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सिद्धरमैया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, अध्यक्ष मधुसूदन आर. नाइक की अध्यक्षता में सात करोड़ लोगों की सामाजिक और शैक्षिक स्थिति जानने के लिए एक नया सर्वेक्षण कर रहा है। आयोग को सर्वेक्षण पूरा करके जल्द से जल्द रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।आयोग ने कहा है कि वह दिसंबर से पहले रिपोर्ट सौंप देगा।’’Karnataka
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मुख्यमंत्री ने कहा कि दशहरे की छुट्टियों के दौरान सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को सर्वेक्षण के लिए तैनात किया जाएगा।उन्होंने कहा, ‘‘ लगभग 1,75,000 शिक्षकों का सहयोग लिया जाएगा जिनमें से प्रत्येक को 20,000 रुपये तक का पारिश्रमिक दिया जाएगा। यह मुख्य लागत घटक है, जो लगभग 325 करोड़ रुपये है। कुल मिलाकर सर्वेक्षण के लिए 420 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और ज़रूरत पड़ने पर अतिरिक्त धनराशि भी उपलब्ध कराई जाएगी।’सरकार ने 2015 में सामाजिक एवं शैक्षिक सर्वेक्षण पर 165.51 करोड़ रुपये खर्च किये थे, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था।Karnataka