विपक्षी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार को सवाल उठाया कि 2019 में जीर्णोद्धार के लिए द्वारपालकों पर लगे सोने के आवरण को क्यों हटाया गया और जब इसे वापस मंदिर में लाया गया तो इसका वजन क्यों कम हो गया। दोनों ही दलों ने इसकी जांच की मांग की है।BJP
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बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने आरोप लगाया कि ये कार्य सरकार और त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड (टीडीबी) की जानकारी में हुए। केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन (कांग्रेस) ने सवाल उठाया कि जिस पर 1990 में सोने की परत चढ़ाने के बाद 40 साल की गारंटी थी – उसे 2019 में फिर से सोने की परत चढ़ाने के लिए क्यों ले जाया गया। BJP
उन्होंने यहां अपने सरकारी आवास पर प्रेसवार्ता के दौरान यह भी पूछा कि स्वर्ण-लेपन के बाद जब आवरण को मंदिर में वापस लाया गया, तो उसका वज़न क्यों नहीं जांचा गया। सतीशन ने कहा, ‘‘यह सब सरकार और टीडीबी की जानकारी के बिना नहीं हो सकता। इसलिए, जो कुछ हुआ उसके लिए वे भी ज़िम्मेदार हैं।’’ BJP
बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन ने भी इसी तरह की चिंता जताई। उन्होंने तर्क दिया कि सरकार और टीडीबी को 2019 में स्वर्णलेपन के वजन में कमी के बारे में पता था, जब प्रायोजक – उन्नीकृष्णन पोट्टी – को इसकी मरम्मत और नवीनीकरण का काम सौंपा गया था। उन्होंने कहा, ‘‘इसके बावजूद, 2025 में फिर से उन्हें सोने की परत चढ़ाने का काम सौंपा गया।’’
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सतीशन और मुरलीधरन दोनों ने मामले की व्यापक जांच की मांग की। प्रदेश भाजपा प्रमुख राजीव चंद्रशेखर ने भी जांच की मांग करते हुए कहा कि सबरीमाला से सोना गायब होना कोई मामूली बात नहीं है। इस बीच, राज्य के देवस्वओम मंत्री वी एन वासवन ने केरल उच्च न्यायालय के हालिया आदेश का स्वागत किया, जिसमें सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति के. टी. शंकरन की निगरानी में सबरीमाला मंदिर में सोने समेत सभी कीमती वस्तुओं की एक व्यापक सूची बनाने का निर्देश दिया गया है।BJP
मंत्री ने कहा कि एक गहन सतर्कता जांच आवश्यक है, क्योंकि प्रायोजक के इर्द-गिर्द एक रहस्य है। उन्होंने कहा, ‘‘सब कुछ सामने आना चाहिए। अदालत के हस्तक्षेप का स्वागत है।’BJP
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