Cinema: बॉलीवुड की सदाबहार आइकन और भारतीय सिनेमा की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में से एक आशा पारेख तिरासी साल की हो गईं है। उन्होंने अपनी बेहतरीन अदाकारी, समाज सेवा और शालीनता से भरे फिल्मी सफर में दर्शकों के बीच खास पहचान बनाई। हिंदी सिनेमा के सबसे पसंदीदा कलाकारों में शुमार कराया। दो अक्टूबर, 1942 को मुंबई में जन्मी आशा पारेख ने 1950 के दशक की शुरुआत में एक बाल कलाकार के रूप में अपना फिल्मी करियर शुरू किया। हालांकि, उन्हें असली कामयाबी 1959 में आई नासिर हुसैन की फिल्म “दिल देके देखो” से मिली।Cinema
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फिल्मी पर्दे पर खास अंदाज, भावपूर्ण आंखों और नृत्य कौशल के साथ, वे तेजी से स्टारडम की ऊंचाइयों पर पहुंच गईं। पारेख 1960 और 70 के दशक की शीर्ष अभिनेत्रियों में शामिल रहीं।अपने शानदार करियर के दौरान, आशा पारेख ने कई हिट फिल्में दीं। इसीलिए उन्हें अक्सर बॉलीवुड की ‘हिट गर्ल’ कहा जाताहै। उन्होंने शम्मी कपूर, राजेश खन्ना, धर्मेंद्र और देव आनंद जैसे दिग्गज अभिनेताओं के साथ कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया।इनमें 1966 में आई “तीसरी मंज़िल” और “दो बदन” और 1970 में आई “कटी पतंग” (1970) और “आन मिलो सजना” और 1971 की फिल्म “कारवां” शामिल है। Cinema
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आशा पारेख ने फिल्म “कटी पतंग” में एक विधवा का रोल निभाया। इस दमदार किरदार को खूब सराहा गया और इसकेे लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। उन्होंने फिल्मी पर्दे पर चुलबुली, आधुनिक और भावनात्मक महिला के हर किरदार को बखूबी निभाया और उसमें गहराई लाईं।आशा पारेख ने पर्दे के पीछे भी फिल्म उद्योग में अहम योगदान दिया। 1990 के दशक में, उन्होंने टेलीविजन निर्देशन और निर्माण की ओर रुख किया और कैमरे के पीछे अपनी बहुमुखी प्रतिभा की झलक पेश की। वे 1998 से 2001 तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की अध्यक्ष नियुक्त होने वाली पहली महिला बनीं।Cinema
2022 में, उन्हें भारतीय फिल्म उद्योग में उनके आजीवन योगदान को सराहते हुए, सिनेमा में भारत के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।जिंदगी के सफर के 83वें पड़ाव पर पहुंचने पर भी आशा पारेख की सदाबहार, शालीन और प्रेरणादायक विरासत चमक बिखेर रही है। उनका सफर सिर्फ स्टारडम की कहानी नहीं बल्कि ये फिल्मी पर्दे पर उनके हर अंदाज को जीने, नयापन लाने और अपने अभिनय से दर्शकों पर असर छोड़ने का ताना-बाना है। Cinema