बस्तर में नक्सली छोड़ पूर्व माओवादियों ने खोले ‘कैफे, CM साय ने कहा- आशा, प्रगति और शांति का प्रतीक

Chhattisgarh: Former Maoists, who left Naxalism, opened cafes in Bastar; CM Sai said – a symbol of hope, progress and peace

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में नक्सली हिंसा के शिकार या प्रतिबंधित माओवादी आंदोलन के पूर्व सदस्य रहे पुरुष और महिलाएं साथ मिलकर एक कैफे चला रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि मुख्यधारा में लौट चुके आत्मसमर्पण करने वाले और नक्सली हिंसा के शिकार लोगों के सुधार की दिशा में जगदलपुर के ‘पंडुम कैफे’ में उन्हें काम पर रखा गया है।

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एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सोमवार 17 नवंबर को पुलिस लाइन स्थित पूना मरघम परिसर में पंडुम कैफे का उद्घाटन किया। इसे राज्य सरकार की समर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा बनाया गया है। मुख्यमंत्री साय ने कहा, पंडुम कैफे बस्तर क्षेत्र में नक्सलवाद के उन्मूलन की दिशा में हो रहे सकारात्मक परिवर्तन का प्रेरक प्रतीक है। यह आशा, प्रगति और शांति का उज्ज्वल प्रतीक है। यहां कार्यरत युवा- जो नक्सली हिंसा के पीड़ित हैं या हिंसा का मार्ग छोड़ चुके हैं अब शांति के पथ पर अग्रसर हैं।

साय ने कहा, कैफे में कार्यरत लोगों को जिला प्रशासन और पुलिस के सहयोग से आतिथ्य सेवाओं, कैफे प्रबंधन, ग्राहक सेवा, स्वच्छता मानकों, खाद्य सुरक्षा और उद्यमिता कौशल का प्रशिक्षण दिया गया है। अधिकारियों के अनुसार, मुख्यमंत्री साय ने कैफे में कार्यरत नारायणपुर की फगनी, सुकमा की पुष्पा ठाकुर, बीरेंद्र ठाकुर, बस्तर की आशमती और प्रेमिला बघेल से बातचीत करते हुए उनके साहस की सराहना की और कैफे के सफल संचालन के लिए शुभकामनाएं दीं।  Chhattisgarh

कई कर्मचारियों ने अपने भावनात्मक अनुभव साझा किए। एक पूर्व माओवादी ने कहा, “हमने अतीत में अंधेरा देखा था। आज हमें समाज की सेवा करने का अवसर मिला है। यह हमारे लिए नया जन्म है। बारूद की जगह कॉफी परोसना और अपनी मेहनत की कमाई से जीना-यह एहसास हमें शांति और सम्मान दे रहा है। एक अन्य सहयोगी ने कहा, पहले हम अपने परिवार को सम्मानजनक जीवन देने का सपना भी नहीं देख सकते थे। अब अपनी मेहनत से कमाए पैसों से परिवार का भविष्य संवार सकते हैं।

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एक अन्य सदस्य ने कहा, हमें लगा था कि मुख्यधारा में लौटना आसान नहीं होगा, लेकिन पुलिस और जिला प्रशासन ने हमें प्रशिक्षण दिया और हमारा विश्वास जीता। अब हम पीड़ितों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जिससे अतीत की गलतियों को सुधारने और शांति स्थापित करने का अवसर मिला है।

अधिकारियों ने बताया कि ‘पंडुम’ बस्तर की सांस्कृतिक जड़ों का प्रतीक है। बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा, पंडुम कैफे सरकार की समर्पण एवं पुनर्वास नीति के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक पहल है। उन्होंने कहा, इस कैफे का उद्देश्य केवल आजीविका उपलब्ध कराना नहीं, बल्कि यह दिखाना भी है कि अवसर मिलने पर परिवर्तन संभव है। जो हाथ कभी संघर्ष में लगे थे, वे अब समाज निर्माण में योगदान दे सकते हैं। सुंदरराज पी ने बताया कि प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि पंडुम कैफे एक सफल सामाजिक-आर्थिक मॉडल के रूप में विकसित हो और भविष्य में क्षेत्र में ऐसे और पुनर्वास केंद्र स्थापित किए जा सकें।  Chhattisgarh

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