Indian Politics: कांग्रेस नेता पवन खेडा का संचार साथी ऐप को लेकर केंद्र सरकार पर जोरदार हमला

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Indian Politics: कांग्रेस ने संचार साथी ऐप को नागरिकों की निजता पर सीधा हमला करार देते हुए कहा कि मोदी सरकार हर स्मार्टफोन में जबरन एक ऐसा जासूसी ऐप स्थापित करना चाहती है, जिसे हटाया न जा सके। दिल्ली कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए पार्टी के मीडिया एवं प्रचार के चेयरमैन पवन खेड़ा ने कहा कि संचार साथी ऐप कानूनी जामा ओढ़कर घरों में घुसने का एक बड़ा षड्यंत्र है। उन्होंने कहा कि संचार साथी नाम का यह ऐप कोई साथी नहीं, बल्कि सरकार का एक हाथी है जो लोगों के फोन में बैठ जाएगा।  Indian Politics

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कांग्रेस नेता ने दूरसंचार विभाग के उस आदेश पर सवाल उठाया, जिसमें संचार साथी ऐप को हर भारतीय स्मार्टफ़ोन पर प्री-लोड करने, और इसे डिलीट न किए जा सकने की बात कही गई है। उन्होंने केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के उस बयान पर भी तंज कसा, जिसमें उन्होंने कहा था कि ऐप को डिलीट किया जा सकता है और यह अनिवार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि सिंधिया एक महाराज की तरह मौखिक फरमान जारी कर रहे हैं, जबकि लिखित आदेश में इसे अनिवार्य बताया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सुरक्षा एक बहाना है, मोदी सरकार का असल निशाना निजता पर है। उन्होंने कहा कि इस ऐप के माध्यम से सरकार नागरिकों के हर मैसेज, फोटो, बैंक लेनदेन और निजी बातचीत की जानकारी अपने पास मंगवाएगी।  Indian Politics
पवन खेड़ा ने कहा कि केंद्र सरकार ने वीआईपी लोगों की जासूसी पेगासस के जरिए की और अब आम जनता की जासूसी संचार साथी के जरिए की जाएगी। उन्होंने भाजपा सरकार के दखल देने वाले निगरानी उपायों को सिलसिलेवार तरीके से याद दिलाते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने 2017 में सुप्रीम कोर्ट में निजता को मौलिक अधिकार मानने का विरोध किया था। 2018 में 10 एजेंसियों को बिना न्यायिक निगरानी के किसी भी कंप्यूटर से जानकारी इंटरसेप्ट करने का अधिकार दे दिया गया था। 2019 में पेगासस कांड में विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, न्यायाधीशों और यहां तक कि केंद्रीय मंत्रियों पर भी जासूसी की गई।

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खेड़ा ने आधार डेटा लीक, नमो ऐप डेटा लीक और डेटा बेचने का मुद्दा उठाकर भी मोदी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि 2020 में नमो ऐप के तहत कई व्हिसलब्लोअर्स और पत्रकारों के निजी डेटा के लीक होने और उसके दुरुपयोग की बात सामने आई। 2021 में सरकार ने नागरिकों का डेटा निजी कंपनियों को बेचकर 100 करोड़ रुपये से अधिक कमाए। 2023 में मोदी सरकार ने सूचना का अधिकार कानून को जानबूझकर कमजोर कर दिया। 2025 में सरकार ने आयकर अधिनियम में बदलाव किए और खुद को ईमेल, क्लाउड अकाउंट, मैसेजिंग ऐप, सोशल मीडिया, ऑनलाइन बैंकिंग और यहां तक कि आईओटी के उपकरणों तक की छानबीन का अधिकार दे दिया गया। Indian Politics
कांग्रेस नेता ने भीमा कोरेगांव मामले का भी उल्लेख किया, जिसमें सरकारी नियंत्रण वाले ऐप के माध्यम से नागरिकों के उपकरणों में फाइलें प्लांट करने के आरोप लगे थे। उन्होंने गुजरात में जासूसी के मामलों का भी हवाला दिया।
कांग्रेस नेता ने तंज कसते हुए कहा कि नागरिकों के मोबाइल में घुसकर सारी निजी जानकारी ले लेना सरकार का हक बन गया है। उन्होंने सवाल किया कि सरकार 80 करोड़ डिजिटल नागरिकों की सहमति के बिना उनके मोबाइल में क्यों घुसना चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा इस तरह की जासूसी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और मांग की कि इस आदेश को तत्काल वापस लिया जाए। Indian Politics

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