हरियाणा से राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने मानसून सत्र के पहले ही दिन किसानों के मुद्दे पर कामरोको प्रस्ताव दिया और चर्चा की मांग की। सदन में पूरे विपक्ष ने दीपेन्द्र हुड्डा के कामरोको प्रस्ताव का समर्थन किया। जोरदार नारेबाजी के बाद सदन की कार्यवाही नहीं चल पायी। खास बात ये रही कि प्रधानमंत्री की मौजूदगी में दीपेन्द्र हुड्डा ने किसानों के मुद्दे को संसद में उठाया। सभापति ने दीपेन्द्र हुड्डा के कामरोको प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसपर सत्तापक्ष और विपक्ष में ठन गई और भारी हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही नहीं चल पायी और राज्य सभा स्थगित हो गयी।
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दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि किसानों की आवाज दबने नहीं देंगे। हुड्डा ने कहा कि देश के लाखों किसान 8 महीने से सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं। 400 से ज्यादा किसानों की कुर्बानी और हर तरह की मुश्किलों को सहने के बावजूद किसान तीन काले कानूनों की वापसी के लिये शांति और अहिंसा से अपनी बात उठाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन सरकार किसानों से बातचीत करने तक को तैयार नहीं है। सरकार का अहंकार अभी नहीं टूटा। ऐसे में हम कामरोको प्रस्ताव लेकर आये, लेकिन राज्य सभा के सभापति ने उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि हम जो लड़ाई लड़ सकते थे हमने लड़ी और आगे भी किसानों के हक में हर लड़ाई मजबूती से लड़ेंगे।