आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी करार दिए जा चुके हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला की सजा पर राऊज एवन्यू कोर्ट में बहस पूरी हो गई है। ओपी चौटाला के खिलाफ सजा पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। राऊज एवन्यू कोर्ट अब शुक्रवार को दोपहर दो बजे अपना फैसला सुनाएगा।
चौटाला की सजा पर दोनों पक्षों की बहस हो रही है। आपको बता दें कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने ओपी चौटाला को दोषी करार दिया था और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
एक ओर जहां ओपी चौटाला के वकील ने स्वास्थ्य का हवाला देकर राहत की मांग की है, वहीं, सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामले में नजीर पेश करने के लिए सख्त सजा की मांग की है। फिलहाल कोर्ट में बहस जारी और दोनों पक्ष अपनी दलीलें रख रहे हैं।
ओपी चौटाला ने वकील के माध्यम से क्या दलीलें दीं
ओम प्रकाश चौटाला 60 फीसदी दिव्यांग हैं- वकील
87 साल उम्र है, बचपन से बीमार हूं, अब 90 फीसदी दिव्यांग हूं, सर्टिफिकेट में 60 फीसदी दिव्यांगता है।
दिव्यांगता बढ़ रही है और लंग्स में इंफेक्शन है। चौटाला के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अगर कोई आरोपी दिव्यांग है तो कोर्ट मानवता के आधार पर कम सजा देने पर विचार कर सकता है। चौटाला के वकील ने कहा कि जितने समय तक चौटाला जेल में रहे हैं उसको भी सज़ा देते समय कंसीडर किया जाए। चौटाला के वकील सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों को पढ़ कर बता रहे हैं कि ऐसे मामलो मे सजा कम से कम दीं जाएं, बिना किसी दूसरे की सहायता के वो चल नहीं सकते।
सीबीआई ने क्या दलीलें दीं
इस मामले में कम सजा से आम लोगों के बीच गलत संदेश जाएगा। ये केस सिर्फ 1 लाख 62 हज़ार का नहीं बल्कि इसमें एक 0 और जोड़ ली जाए। ट्रायल बहुत लंबा चला, लंबा ट्रायल चलने की वजह से इन्होंने सफर किया, जितने भी पुराने फैसलों के हवाला चौटाला के वकील ने दिया वह सभी ऐसे लोगों का है जिनका परिवार उनपर निर्भर था, सीबीआई ने कोर्ट में कहा कि इनकी एक पत्नी है और 2 बड़े बच्चे हैं, इनके ऊपर कोई निर्भर नहीं है।
सीबीआई के वकील ने कहा भ्रष्टाचार समाज के लिए कैंसर के समान है, भ्रष्टाचार के मामले में कोर्ट को ऐसी सजा देनी चाहिए जिससे समाज में मिसाल दिया जा सके। सीबीआई ने कहा कि आप लीडर हैं, आपके हर आदेश को लोग मानते हैं। अगर लीडर ही इस प्रकार के भ्रष्टाचार करेंगे तो समाज में इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। कोर्ट को इस मामले में किसी भी तरह की नरमी नहीं बरतनी चाहिए। CBI ने कहा कि कानून बनाने वाले ही अगर अपराध करेंगे तो उसका जनता पर क्या असर होगा,चौटाला को अधिकतम सज़ा दी जानी चहिए और अधिकतम रुपये का जुर्माना लगाया जाना चहिए।
क्या है मामला
गौरतलब है कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने वर्ष 2005 में प्राथमिकी दर्ज की थी, एजेंसी ने 26 मार्च 2010 को आरोप-पत्र दाखिल किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि चौटाला की 6.09 करोड़ की संपत्ति वर्ष 1993 से 2006 के बीच उनके आय के वैध स्रोतों की तुलना में बहुत अधिक है।