उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में समाजवादी पार्टी को करारा झटका लगा है। विधान परिषद में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की नेता प्रतिपक्ष की मान्यता खत्म हो गई है। 100 सदस्यों वाली विधान परिषद में 10 फीसदी संख्या होने पर ही किसी दल के नेता को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता दी जाती है।
यूपी विधान परिषद में बीती 6 जुलाई को 12 सदस्यों का कार्यकाल पूरा हुआ था। इन 12 सदस्यों में से 6 समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के थे जबकि बीएसपी के 3, बीजेपी के 2 और कांग्रेस के 1 सदस्य थे। इन 12 सीटों पर चुनाव भी हो चुके हैं और सदस्य चुने भी जा चुके हैं। बीजेपी ने जिन सदस्यों को दोबारा चुना है उनमें डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और भूपेंद्र चौधरी हैं जबकि बाकी दलों ने अपने सदस्यों को दोबारा मौका नहीं दिया।
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सपा (Samajwadi Party) के नेता लाल बिहारी यादव के पास नेता प्रतिपक्ष का पद था लेकिन अब उनकी मान्यता खत्म कर दी गई है। मौजूदा विधान परिषद में बीजेपी के 73, सपा के 9 और बीएसपी के 1 सदस्य हैं। कानून के मुताबिक बीजेपी के सदस्य सबसे ज्यादा होने के अलावा सपा के अब सिर्फ 9 सदस्य हैं लिहाजा अब पार्टी की नेता प्रतिपक्ष की मान्यता खत्म हो गई है। खास बात ये है कि दशकों तक यूपी की सत्ता पर राज करने वाली पार्टी कांग्रेस का एक भी सदस्य अब विधान परिषद का सदस्य नहीं है। यूपी में कांग्रेस का पहले ही राज्यसभा में कोई नेता सांसद नहीं है और अब विधान परिषद से भी कांग्रेस खत्म हो गई है इससे साफ होता है कि पार्टी का राज्य में कोई जनाधार नहीं बचा है।
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