(अवैस उस्मानी): संस्कृत को भारत की राष्ट्रीय भाषा घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए याचिका को पब्लिसिटी याचिका करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह संसद का काम है, कोर्ट इस तरह की मांग पर विचार नहीं करेगी। National language India,
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि याचिका में उठाये गए मुद्दे पर विचार का सही मंच संसद है, कोर्ट नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम याचिका पर नोटस क्यों जारी करे या प्रचार के लिए घोषणा करनी चाहिए? हम आपके कुछ विचार साझा कर सकते है लेकिन इस पर बहस का सही मंच संसद है, इसके लिए संविधान में संशोधन की ज़रूरत है, यह नीति का मामला जिसे हम बदल नहीं कर सकते है।
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सेवानिवृत्त IPS अधिकारी और वकील केजी वंजारा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में केंद्र सरकार को संस्कृत को राष्ट्रभाषा के रूप में अधिसूचित करने का निर्देश जारी करने की मांग की थी। याचिका में कहा कि इस तरह के कदम से मौजदा प्रवधानों के खलल नहीं पड़ेगा जो अंग्रेज़ी और हिंदी को देश की आधिकारिक भाषाओं के रूप में देखते हैं।
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