Ayodhya: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वाराणसी में ज्ञानवापी के दक्षिणी तहखाने में पूजा जारी रखने की इजाजत दे दी है। इस फैसले का अयोध्या के संतों ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष को वाराणसी और मथुरा स्थलों पर अपना अधिकार विनम्रतापूर्वक छोड़ देना चाहिए।
‘सच्चाई की जीत’
दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी के दक्षिणी तहखाने में पूजा जारी रखने का फैसला लिया जिसपर अयोध्या के संतो ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने हाई कोर्ट के उस आदेश को ‘सच्चाई की जीत’ बताया जिसमें वाराणसी कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली अपील को खारिज कर दिया गया है।
संत पवन दास शास्त्री ने कही ये बात
महासचिव, अयोध्या के संत पवन दास शास्त्री ने कहा कि ज्ञानवापी पर मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज हो गई है। यह काशी विश्वनाथ के आशीर्वाद के कारण है। रामराज्य की संकल्पना निश्चित है।याचिका खारिज होने का श्रेय महादेव और अन्य देवताओं को दिया जा सकता है।
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पीठाधीश्वर जगदगुरु परमहंस आचार्य ने कहा…
तपस्वी पीठाधीश्वर जगदगुरु परमहंस आचार्य का कहना है कि ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा कराने का कोर्ट का फैसला कई लोगों के लिए खुशी लेकर आया है। लेकिन यह मुस्लिम पक्ष के लिए भी एक झटका है। यह समझने योग्य होना चाहिए कि अदालत का फैसला सभी को स्वीकार करना चाहिए। ये वो भारत है जो संविधान से चलता है। भारत में शरिया कानून का पालन न कभी हुआ और न भविष्य में होगा। अगर लोग सोचते हैं कि वे पथराव कर सकते हैं और दबाव बना सकते हैं, तो यह संभव नहीं है। सभी को संविधान का पालन करना चाहिए। जो कानून का पालन नहीं करेगा उस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
संत सत्येंद्र दास वेदांती के वाक्य
संत सत्येंद्र दास वेदांती ने कहा कि राम जन्मभूमि मामले में कोर्ट के फैसले पर विचार करते हुए मैं इस फैसले पर विचार कर रहा हूं। साथ ही, मैं ज्ञानवापी और मथुरा की स्थितियों का भी बारीकी से निरीक्षण कर रहा हूं।
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