अवैस उस्मानी की रिपोर्ट – चुनाव के दौरान मुफ्त की योजनाओं की घोषणा के बचाव में आम आदमी पार्टी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट से मामले में खुद को भी पक्ष बनाए जाने की मांग किया है। आम आदमी पार्टी ने इस तरह की घोषणाओं को राजनीतिक पार्टियों का लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकार बताया है। आप पार्टी ने कहा पात्र और वंचित लोगों के लिए योजनाओं को मुफ्त उपहार नहीं माना जा सकता है। मुफ्त योजनाओं के खिलाफ याचिकाकर्ता अश्वनी कुमार उपाध्याय को बीजेपी का सदस्य बताते हुए उनकी मंशा पर भी सवाल उठाया है। AAP News,
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में आप पार्टी ने चुनाव के दौरान मुफ्त उपहार का वादा करने को लेकर राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई के अनुरोध वाली अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की दायर याचिका का विरोध किया। आप पार्टी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय एक विशेष राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए जनहित याचिका माध्यम का उपयोग करने का प्रयास कर रहे हैं। और खुद को एक सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में पेश किया है।
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आप पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा कि चुनाव के दौरान मुफ्त की योजनाओं की घोषणा के खिलाफ याचिकाकर्ता अश्वनी कुमार उपाध्याय के सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के साथ मजबूत संबंध हैं। वह पूर्व में इसके प्रवक्ता और इसकी दिल्ली इकाई के नेता के रूप में कार्य कर चुके हैं। जनहित के नाम पर याचिकाकर्ता की याचिकाएं, अक्सर पार्टी के राजनीतिक एजेंडा से प्रेरित होती हैं। AAP News,
बता दें, तीन अगस्त को मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव के दौरान मुफ्त की योजनाओं की घोषणा पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता ज़ाहिर किया था सुप्रीम कोर्ट ने इस से निपटने के लिए एक विशेषज्ञ कमिटी बनाने पर जोर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा इस कमिटी में वित्त आयोग, नीति आयोग, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, लॉ कमीशन, राजनीतिक पार्टियों, याचिकाकर्ता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से 7 दिनों में सुझाव मांगा था। सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने चुनाव आयोग के रवैये पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर चुनाव आयोग ने इस मसले पर पहले कदम उठाया होता तो शायद ऐसी नौबत नहीं आती, आज शायद कोई भी पार्टी मुफ्त की योजनाओं को छोड़ना नहीं चाहती हैं। मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का खुलकर समर्थन किया। तुषार मेहता ने कहा कि मुफ्त की घोषणाएं करने वाली पार्टियों पर कार्रवाई का मसला चुनाव आयोग पर छोड़ा जाना चाहिए। तुषार मेहता ने कहा कि मुफ्त की घोषणाओं पर अगर लगाम नहीं लगाई गई तो देश की अर्थव्यवस्था तबाह हो जाएगी।
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