(प्रदीप कुमार )- मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता की। संसद भवन परिसर में हुई मैराथन बैठक में करीब 30 दलों के नेता और प्रतिनिधि शामिल हुए हैं
मणिपुर हिंसा को लेकर आज केंद्रीय मंत्री की अध्यक्षता में दिल्ली में सर्वदलीय बैठक हुई।संसद भवन परिसर में हुई बैठक में मणिपुर हिंसा को लेकर सरकार ने अपना पक्ष रखा। हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सरकार की ओर से कहा गया कि 80 किलोमीटर मणिपुर म्यांमार बॉर्डर की तारबंदी की जा रही है, म्यांमार से आने वाले लोगों का बायोमेट्रिक भी लिया जा रहा है। सरकार ने कहा कि हिंसा को रोकने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं।
सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक दलों की तरफ से मणिपुर में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने की मांग रखी गयी है।इस पर केंद्र सरकार की ओर से निर्णय लिया जाएगा।बैठक में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य के सीएलपी लीडर ओकराम इबोबी सिंह ने कई बिंदुओं को उठाया है। सर्वदलीय बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश और इबोबी सिंह ने बैठक में उठाए मुद्दों की जानकारी देते हुए कहा कि मणिपुर में शांति और स्थिरता के लिए मुख्यमंत्री बिरेन सिंह को हटाया जाना जरूरी है।
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कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि इस सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री को करनी चाहिए थी जिन्होंने पिछले 50 दिनों में मणिपुर पर एक भी शब्द नहीं कहा है। कांग्रेस ने कहा है कि यह सर्वदलीय बैठक बेहतर होती अगर इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते और यह इंफाल में होती। इससे मणिपुर के लोगों को स्पष्ट संदेश जाता कि उनका दर्द और संकट भी राष्ट्रीय पीड़ा का विषय है।कांग्रेस की ओर से मांग की गई है कि सभी सशस्त्र समूहों को बिना किसी समझौते के तुरंत निःशस्त्र किया जाना चाहिए।साथ ही हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए राहत, पुनर्वास, पुनर्वास और आजीविका का पैकेज बिना देरी किए तैयार किया जाना चाहिए। कांग्रेस ने कहा है कि घोषित राहत पैकेज नितांत अपर्याप्त है।
मणिपुर पर बुलाई सर्वदलीय बैठक में शामिल रहे अन्य विपक्षी दलों ने भी घटनाक्रम पर चिंता जाहिर करते हुए केंद्र सरकार से तुरंत कड़े कदम उठाने की मांग की है।आरजेडी नेता मनोज झा, शिवसेना उद्धव गुट की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी और अन्य विपक्षी नेताओं ने मणिपुर के हालात पर चिंता जताते हुए सरकार से यह मांग की है।ज्यादातर विपक्षी दलों का मानना है कि राज्य सरकार की नाकामी की वजह से हिंसा बढ़ी है और राज्य में मुख्यमंत्री बिरेन सिंह को तुरंत बदला जाना चाहिए साथ ही सर्वदलीय डेलिगेशन को भी राज्य में भेजा जाना चाहिए।
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